भारत: सुप्रीम कोर्ट पीएमएलए फैसले के खिलाफ कार्ति चिदंबरम की पुनर्विचार याचिका पर करेगा विचार
प्रधान न्यायाधीश एन.वी. रमना की अध्यक्षता वाली और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति सी.टी. रविकुमार दोपहर में चैंबर के अंदर चिदंबरम द्वारा दायर समीक्षा याचिका पर विचार करेंगे।
चिदंबरम के अनुसार, गंभीर त्रुटि और संविधान के पहले के फैसलों और प्रावधानों के विपरीत होने के आधार पर फैसले की समीक्षा की जानी चाहिए।
शीर्ष अदालत ने 27 जुलाई को धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाया था।
मंगलवार को प्रधान न्यायाधीश एन.वी. रमना की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने भी पीएमएलए के फैसले की आलोचना की।
बेनामी लेनदेन (निषेध) संशोधन अधिनियम, 2016 के प्रावधानों से निपटने वाले 96 पृष्ठ के फैसले में शीर्ष अदालत ने पीएमएलए के फैसले पर 27 जुलाई को विजय मदनलाल चौधरी शीर्षक से एक छोटी टिप्पणी की थी। इस पीठ में न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर शामिल थे।
शीर्ष अदालत ने नोट किया कि विजय मदनलाल चौधरी और अन्य बनाम भारत संघ में, यह न्यायालय धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (पीएमएलए) की धारा 8 के तहत जब्ती की कार्यवाही से निपटता है और पीएमएलए की धारा 8(4) के आवेदन को सीमित करता है।
एसजीके