राजस्थान चुनाव: वसुंधरा राजे को साइड करते-करते भाजपा साइड न हो जाए! राजस्थान में तेज हुई महारानी की बदली डीपी की चर्चा।

हालातों से लग रहा है कि राजस्थान की कद्दावर नेता वसुंधरा राजे सिंधिया को भाजपा साइड करना चाहती है, लेकिन मौजूदा घमासान इस बात का संकेत भी है कि वसुंधरा राजे को साइड करते-करते भाजपा खुद साइड न हो जाए! 

राजस्थान में तेज हुई महारानी की बदली डीपी की चर्चा।

DHANRAJ MALI

जयपुर। राजस्थान में विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान हो चुका है। भाजपा कांग्रेस को घेरकर सत्ता चाहती है तो कांग्रेस आश्वस्त है कि राजस्थान इतिहास रचेगा और उनकी सरकार वापस आयेगी। 

कांग्रेस ने अभी तक अपना एक भी पत्ता नहीं खोला है, भागदौड़ जारी है। भाजपा ने जब से 41 नामों वाली अपनी पहली सूची जारी की है, घमासान मचा हुआ है। 

भाजपा ने अपनी पहली सूची में ही सात सांसदों को विधानसभा चुनावों में उतारकर विधानसभा उम्मीदवारी का दावा ठोक रहे उम्मीदवारों और उनके समर्थकों की नाराजगी मोल ले ली है।

हालातों से लग रहा है कि राजस्थान की कद्दावर नेता वसुंधरा राजे सिंधिया को भाजपा साइड करना चाहती है, लेकिन मौजूदा घमासान इस बात का संकेत भी है कि वसुंधरा राजे को साइड करते-करते भाजपा खुद साइड न हो जाए! 

एक तरफ वसुंधरा राजे समर्थकों की नाराजगी, दूसरी तरफ उनकी खामोशी बहुत कुछ कह रही है।

इसमें संदेह नहीं कि राजस्थान की राजनीति में वसुंधरा राजे का विकल्प फिलहाल भाजपा के पास है नहीं। वसुंधरा राजे भले ही खामोश हो लेकिन X पर बदली उनकी डीपी भी लोगों को बहुत कुछ संकेत दे रही है। 

अपने फोटो के पीछे बड़े-बड़े अक्षरों में राजस्थान लिखकर क्या वसुंधरा राजे ने कोई संकेत दिया है? वसुंधरा राजे को किनारे करना भाजपा केलिए अच्छा संकेत तो वैसे भी नहीं दिख रहा है।

वैसे राजनीति में चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह राजस्थान मसले पर कही चूक न जाए! वैसे भी वे अमित शाह ने अभी तक इन चुनावों में राजस्थान में बहुत कम दौरे किए है, उसे लेकर भी लोग अलग अलग कयास लगा रहे है।

इसमें संदेह नहीं कि राजनीति के जादूगर अशोक गहलोत बड़े खिलाड़ी है, भाजपा को राजनीति में उनकी जादूगरी पता तो है लेकिन पहली लिस्ट के बाद मचा बवाल फिलहाल तो हल होता दिखाई नहीं दे रहा है। 

भाजपा में यह बवाल तब मचा है जब मात्र 41 नाम ही घोषित हुए है। कुछ लोगों का मानना है कि भाजपा इस सूची को प्रयोग के तौर पर देख रही है, दूसरी लिस्ट और भी चौंकाने वाली होगी। कुछ लोग तो कह रहे हैं कि असली लिस्ट तो पीछे है।

ज्ञात हो कि सांसद देवजी पटेल को सांचोर से टिकट देने के बाद कार्यकर्ताओं के साथ साथ उनकी जाति के लोग भी खिलाफ हो चुके है। उनकी गाड़ी पर हमला, जान से मारने की धमकी, काले झंडों से स्वागत और चारों तरफ बगावत के सुर शुभ संकेत नहीं है। 

वैसे भी सांचोर सीट पर कांग्रेस का कब्जा वर्षों से है, यहां एक जीत की जरूरत भाजपा को है। 

दीया कुमारी के टिकट पर तो महाराणा प्रताप के खिलाफ लड़ाई से लेकर मुगलों के समक्ष आत्मसमर्पण तक के बयान आ गए हैं। दीया कुमारी को टिकट देकर वसुंधरा राजे के करीबी का टिकट काटकर भाजपा इस सीट पर भी बगावत का असर देख रही है।

अपने समर्थकों के टिकट कटने पर वसुंधरा राजे का बयान न आना भी राजस्थान में तूफान के पहले की खामोशी के तौर पर देखा जा रहा है। भाजपा को राजस्थान फतह करने केलिए भीतरघात, अपनों की नाराजगी को दूर करना होगा वरना इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। 

वैसे भी राजनीति में अपनों की नाराजगी हमेशा महंगा सौदा साबित होती है। फिलहाल तो राजस्थान में राजे की X पर बदली डीपी के चर्चे हैं।