जंगल की जमीन ही बेच दी: खसरा संख्या 111 पर विवाद: वन विभाग की 9 बीघा भूमि पर अवैध कब्जा, तहसीलदार की भूमिका पर सवाल

वन विभाग की नौ बीघा भूमि है और उस पर अवैध कब्जा करके बेच देने के मामले में तहसीलदार की भूमिका पर बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं। बड़े सवाल वन विभाग पर भी है। मामला तहसील देलदर के पटवार हलका आमथला स्थित खसरा संख्या 111 का है। जहां ​की 22 बीघा भूमि का नामांतरण और वन विभाग की 9 बीघा भूमि पर अवैध कब्जे का प्रकरण तूल पकड़ेगा। जह

विवादित जमीन

सिरोही | वन विभाग की नौ बीघा भूमि है और उस पर अवैध कब्जा करके बेच देने के मामले में तहसीलदार की भूमिका पर बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं। बड़े सवाल वन विभाग पर भी है। मामला तहसील देलदर के पटवार हलका आमथला स्थित खसरा संख्या 111 का है। जहां ​की 22 बीघा भूमि का नामांतरण और वन विभाग की 9 बीघा भूमि पर अवैध कब्जे का प्रकरण तूल पकड़ेगा। जहां अफसरों ने कानूनी कवायद में ऐसी रेवड़ियां बांटी कि अब शिकायत प्रमुख शासन सचिव, राजस्व विभाग, जयपुर तक पहुंची है।

शिकायत में उल्लेख है कि 27 दिसंबर 1966 को सोमाराम पुत्र कालाराम को 22 बीघा भूमि का आवंटन हुआ था, जिसका कब्जा उन्होंने ले लिया। लेकिन 1972-73 के सेटलमेंट अभियान के दौरान यह भूमि वन विभाग के नाम दर्ज हो गई। वर्ष 2013 में आवंटी परिवार ने उपखंड अधिकारी, माउंट आबू के समक्ष दावा प्रस्तुत कर भूमि का नामांतरण अपने पक्ष में खोलने का आदेश प्राप्त कर लिया।

सेटलमेंट में बदलाव से बढ़ा विवाद
तहसीलदार आबूरोड ने न्यायालय को बताया कि पुराने सेटलमेंट के अनुसार 132 फीट जरीब में 8 बीघा जमीन होती थी, जबकि नए सेटलमेंट में 165 फीट जरीब के आधार पर 5 बीघा जमीन होती है। इस बदलाव के तहत 1966 में आवंटित 22 बीघा भूमि का नया क्षेत्रफल 13.15 बीघा निर्धारित होता है। हालांकि, आवंटी के वकीलों ने अदालतों में पुराने आदेशों को प्रस्तुत कर 22 बीघा भूमि का नामांतरण खोलने में सफलता हासिल की।

वन विभाग की 9 बीघा भूमि पर अवैध कब्जा
शिकायत के अनुसार, आवंटी और उनके परिजनों ने अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से 9 बीघा वन भूमि का अवैध नामांतरण करा लिया। वर्ष 1966 में जब भूमि का आवंटन हुआ था, तब इस भूमि के पास कोई सड़क नहीं थी। लेकिन बाद में बनास नदी पर पुल और आबूरोड-सिरोही मार्ग बनने के बाद भूमि का व्यावसायिक महत्व बढ़ गया।

भूमाफियाओं की साठगांठ का आरोप
शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया है कि भूमाफियाओं ने राजस्व विभाग से साठगांठ कर नियमों को दरकिनार करते हुए 22 बीघा भूमि का नामांतरण कराया। इसमें से बनास पुल निर्माण और कासिन्द्रा मार्ग के लिए भूमि को अलग नहीं किया गया।

जांच और कार्रवाई की मांग
शिकायतकर्ता ने इस पूरे मामले की गहन जांच की मांग की है। उनका कहना है कि वन विभाग की 9 बीघा भूमि पर कब्जा और 22 बीघा का नामांतरण बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार को उजागर करता है। मामले में दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।

सिरोही के उप वन संरक्षक कस्तूरी प्रशांत सुले से जब हमने बात की तो उन्होंने कहा कि यह पुराना मामला है। वे इस प्रकरण को गंभीरता से दिखवाकर उचित कार्यवाही अमल में लाएंगी।