व्याख्याता भर्ती परीक्षा : साक्षरता में सबसे पिछड़े जालोर के बेटे ने टाॅप किया राजस्थान, खिन्दाराम कलबी रहे आरपीएससी टाॅपर
मन में जुनून हो तो कोई भी राह कठिन नहीं है। रीट भर्ती से लेकर प्रथम श्रेणी व्याख्याता में असफलता मिलने के बाद भी डटे रहे। कहानी है खिन्दाराम कलबी की। खिन्दाराम ने राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित व्याख्याता भर्ती- 2018 (राजनीति विज्ञान) में राजस्थान में पहली रैंक हासिल की है।
जालोर | मन में जुनून हो तो कोई भी राह कठिन नहीं है। रीट भर्ती से लेकर प्रथम श्रेणी व्याख्याता में असफलता मिलने के बाद भी डटे रहे। कहानी है खिन्दाराम कलबी की। खिन्दाराम ने राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित व्याख्याता भर्ती- 2018 (राजनीति विज्ञान) में राजस्थान में पहली रैंक हासिल की है। राजस्थान में साक्षरता में सबसे पिछड़ा जालोर जिला अपने लाल के इस कीर्तिमान पर गर्व कर रहा है।
शिक्षक रूपसिंह राठौड़ नारणावास बताते हैं कि यह जालोर जिले के लिए गौरव का पल है क्योंकि शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़ा जिला जालोर अक्सर प्रतियोगी परीक्षाओं की नजर से हेय माना जाता रहा है। अक्सर अन्य जिलों के लोग यहां फाॅर्म भरते हैं और सफल भी होते हैं। ऐसे में यहां के युवाओं की इस सफलता ने न केवल अन्य जगहों पर तगड़ा संदेश दिया है, बल्कि जिले के युवाओं के लिए भी प्रेरणा का स्रोत खड़ा किया है।
खिन्दाराम ने प्राथमिक शिक्षा गाँव से ही की तथा उच्च शिक्षा(बीए) घर पर रहते हुए खेती का कार्य करते हुए स्वयंपाठी के रूप में की। उनके पिता एक किसान है जिसने दिन-रात मेहनत कर खिन्दाराम को अध्ययनरत रखा। खिन्दाराम ने किसान दिवस के शुभ अवसर पर राजस्थान में प्रथम रैंक हासिल कर परिवार में खुशियों से भरी सौगात दी है। खिन्दाराम ने अपनी उच्च शिक्षा के साथ ही वे मन और लगाव से कठिन मेहनत करते रहें तीन बार वरिष्ठ अध्यापक भर्ती, दो बार रीट भर्ती, एक बार व्याख्याता भर्ती में असफल होने के बावजूद भी उन्होंने अपनी मेहनत हमेशा के लिए जारी रखी और आज उसी मेहनत के बल पर व्याख्याता भर्ती 2018 में राजनीतिक विज्ञान में प्रथम स्थान प्राप्त किया। साथ ही गत दिनों में राजनीति विषय से नेट जेआरएफ में भी सफलता अर्जित की थी।उन्होंने बताया कि गुरुवर रामसिंह जी आढ़ा और भवानी सिंह जी राजपुरोहित ने तैयारी के लिए काफी प्रोत्साहित किया। कलबी ने बताया कि लगातार प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने से मन में आत्म विश्वास था कि सफलता के काफी नजदीक है उन्होने अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार वालो को दिया है। उनके प्रिय मित्र हंसमुख प्रजापत ,विक्रम सिंह, हड़मताराम ,खेताराम ने मिलकर बधाई दी।