Garba 2022: गरबा के साथ पूरे आध्यात्मिक परिवेश में नजर आएगा रामझरोखा मैदान, तैयारियां जोरों पर
स्थानीय युवतियों को गुजरात की कोरियोग्राफर मण्डल के निशुल्क प्रशिक्षण कैंप में सिखा रही है गरबा के स्टेप, सीखने मे उमड़ी बहने,तीन से चार पारी की शरू
सिरोही | शारदीय नवरात्र के अवसर पर पिछले पांच दशक से जनमानस की आस्था, विश्वास का केंद्र बना नगर का रामझरोखा मैदान इस बार आयोजक जगदम्बे नवयुवक मण्ड़ल स्थापना के 50 साल पूरे होने पर अपने पूर्ण वैभव के साथ मनमोहक चकाचोंध रंगीन रोशनी, विशाल प्रतिमाओं को विराजमान करना, विराट शतचंडी महायज्ञ का अनुष्ठान समेंत विविध कार्यक्रमों और गुजराती गरबा गीतों की स्वर लहरियों के साथ अपने पूरे आध्यात्मिक परिवेश में नजर आएगा।
मण्डल के सह संयोजक लोकेश खण्डेलवाल ने जोर शोर से चल रही तैयारियों की जानकारी देते हुए बताया कि नवरात्र में एक और जहां माता की पूजा,अर्चना, साधना और कई अनुष्ठानों के साथ उपासना की जाती है वहीं दूसरी और इसका सांस्कृतिक उत्साह एवं गरबा नृत्य की लोक परंपरा का भी विशेष महत्व जनमानस में छाया हुआ है। उन्होंने बताया कि मण्डल की ओर से इस बार विशेष प्रयास से गुजरात बड़ौदा की कोरियोग्राफर प्रशिक्षिका बहन संगीता बारोट द्वारा स्थानीय बहन बेटियों को मंडल के निशुल्क गरबा नृत्य प्रशिक्षण कक्षा मे गरबा नृत्य की तकनीकी बारीकियों को सिखाया जा रहा है। इस प्रशिक्षण कक्षा में स्थानीय बहनों की संख्या इतनी अधिक हो गई है कि हॉल छोटा पड़ गया और इसे चार पारी में शुरू किया जा रहा है। गरबा प्रशिक्षण में पैरों की थिरकन के साथ सुमधुर माता के गरबा गीतों पर ताली की ताल और बढ़ते कदम से कदम का हाथों व चेहरे की भाव भंगिमा के तालमेल पर जोर दिया। इसमे शक्ति की भक्ति मे मग्न होकर अप डाउन स्टेप सहित विविध नृत्य कलाओं का अनूठा संगम प्रस्तुत कर रही प्रशिक्षणार्थी बहनो के चेहरे की खुशियां उत्कर्ष पर पहुंचती दिखाई देने लगी है।
लहंगा- ओढ़नी के पारंपरिक परिधान का क्रेज बढ़ा
नवरात्र में गरबा को लेकर बहन बेटियों ने विशेष तैयारियां शुरू कर दी है गरबा में बहनों के हाव भाव के साथ ड्रेस कोड व इसके विशेष प्रकार के ट्रेडिशनल गुजराती चटकदार लहंगा, ओढ़नी के परिधान के प्रति लगाव भी नगर की बेटियों में साल दर साल बढ़ता जा रहा है।
राम झरोखा में पावागढ़ झांकी, अस्थाई मंदिर, पंडाल आदि की तैयारियां अंतिम चरण में
मंडल के अध्यक्ष विजय पटेल ने बताया कि रामझरोखा मैदान में इस बार पूर्ण आध्यात्मिक परिवेश के साथ बंगाल और गुजरात की संस्कृति का अनोखा संगम देखने को मिलेगा। शतचंडी महायज्ञ के लिए लालवेरा परिसर में विशाल यज्ञशाला का निर्माण किया गया है इसी प्रकार मैदान में पावागढ़ झांकी सहित पंडाल को विशेष रूप से तैयार किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि मंडल के मुख्य संरक्षक सुरेश सगरवंशी, आयोजन संयोजक गिरीश सगवंशी, सहसंयोजक लोकेश खण्डेलवाल आदि के कुशल नेतृत्व में मंडल की टीम के संरक्षक गांधी भाई पटेल, रणछोड़ पुरोहित, वित्तीय सलाहकार राजेश गुलाबवानी, कोषाध्यक्ष अतुल रावल, महासचिव प्रकाश खारवाल, उपाध्यक्ष प्रकाश प्रजापति, सलाहकार प्रताप प्रजापत, दिनेश प्रजापत, शैतान खरोर, सज्जनसिंह राजपुरोहित, तगसिंह, विकास प्रजापत, रुपेंद्र शर्मा, दिलीप पटेल, देवेश खत्री आदि सभी कार्यकर्ता दिन-रात जुटे हुए हैं।