Pandit Sukh Ram Passed Away: नहीं रहे संचार क्रांति के मसीहा पंडित सुखराम, दिल का दौरा पड़ने से निधन

हिमाचल प्रदेश की राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले पूर्व केंद्रीय संचार राज्य मंत्री पंडित सुखराम (Pandit Sukh Ram Passed Away) का निधन हो गया है। उन्होंने मंगलवार रात करीब डेढ़ बजे दिल्ली एम्स में अंतिम सांस ली।

New Delhi | हिमाचल प्रदेश की राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले पूर्व केंद्रीय संचार राज्य मंत्री पंडित सुखराम (Pandit Sukh Ram Passed Away) का निधन हो गया है। उन्होंने मंगलवार रात करीब डेढ़ बजे दिल्ली एम्स में अंतिम सांस ली। उनके पोते आश्रय शर्मा ने सोशल मीडिया के माध्यम से उनके देहांत की जानकारी दी है। हिमाचल प्रदेश के साथ देश की राजनीति में पंडित सुखराम एक दिग्गज नेता के रूप में जाने जाते थे। उनके निधन से राजनीतिक गलियारों में शोक की लहर छाई हुई है। 

जानकारी के अनुसार, पंडित सुखराम को मंगलवार की रात में फिर से हार्ट अटैक आया था, जिसके कारण उनका देहांत हो गया। बता दें कि, सुखराम को चार मई को मनाली में ब्रेन स्ट्रोक हुआ था, जिसके बाद उन्हें मंडी में एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इसके बाद सीएम जयराम ठाकुर ने उन्हें दिल्ली एम्स में शिफ्ट करने के लिए अपना हेलीकॉप्टर उपलब्ध करवाया था। 9 मई की रात को भी उन्हें दिल का दौरा पड़ा था जिसके बाद उन्हे वेंटिलेटर पर रखा गया था। 

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पोते ने लिखा- अलविदा दादा जी, अब नहीं बजेगी टेलीफोन की घंटी
संचार क्रांति के मसीहा कहे जाने वाले 92 साल के पंडित सुखराम के पोते आश्रय शर्मा ने बड़ा भी भावुक पोस्ट लिखकर उनके निधन की जानकारी दी। उनके पोते लिखा- अलविदा दादा जी, अब नहीं बजेगी टेलीफोन की घंटी।

आज हिमाचल के मंडी जाएगी पार्थिव देह
जानकारी के अनुसार बुधवार को पंडित सुखराम की पार्थिव देह को दिल्ली से मंडी ले जाया जाएगा और अंतिम दर्शनों के लिए मंडी शहर के ऐतिहासिक सेरी मंच पर रखा जाएगा। जहां उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए बड़ी संख्या में नेताओं और लोगों के पहुंचने की संभावना है। अंतिम दर्शनों के बाद हनुमानघाट स्थित शमशानघाट पर उनका पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा। 

पांच बार विधानसभा चुनाव और तीन बार लोकसभा चुनाव जीता

पंडित सुखराम हिमाचल प्रदेश के मंडी निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा के सदस्य थे और उन्होंने पांच बार विधानसभा चुनाव और तीन बार लोकसभा चुनाव जीता। सुखराम ने 1993 से 1996 तक संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री के रूप में कार्य किया। 2011 में उन्हें भ्रष्टाचार के लिए पांच साल जेल की सजा सुनाई गई थी, जब वह 1996 में केंद्रीय दूरसंचार मंत्री थे।

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