खामोश हुई संगीत की बुलबुल : बुलबुल-ए-पाकिस्तान नैय्यरा नूर का निधन
जियो न्यूज ने उनके परिवार के हवाले से खबर दी है कि रविवार को शाम चार बजे डीएचए स्थित मस्जिद/इमांबरगाह यासरब में उन्हें अंतिम विदाई दी जाएगी और डीएचए फेज 8 स्थित कब्रिस्तान में उन्हें सुपुर्दे खाक किया जाएगा। 3 नवंबर, 1950 को असम के गुवाहाटी में जन्मीं नैय्यरा को बचपन से ही बेगम अख्तर की गाई गजल, ठुमरी और कानन देवी
इस्लामाबाद । मशहूर पाकिस्तानी गायिका नैय्यरा नूर का कराची में एक संक्षिप्त बीमारी के बाद निधन हो गया, उनके पारिवारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी।
जियो न्यूज ने उनके परिवार के हवाले से खबर दी है कि रविवार को शाम चार बजे डीएचए स्थित मस्जिद/इमांबरगाह यासरब में उन्हें अंतिम विदाई दी जाएगी और डीएचए फेज 8 स्थित कब्रिस्तान में उन्हें सुपुर्दे खाक किया जाएगा।
3 नवंबर, 1950 को असम के गुवाहाटी में जन्मीं नैय्यरा को बचपन से ही बेगम अख्तर की गाई गजल, ठुमरी और कानन देवी के गाए भजन पसंद थे।
जब वह सात साल की थीं, तभी देश बंटने के बाद उनका परिवार पाकिस्तान चला गया था।
71 वर्षीय नूर को बुलबुल-ए-पाकिस्तान की उपाधि दी गई और 1973 में सर्वश्रेष्ठ पाश्र्व गायक के लिए निगार पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
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उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा कि नैय्यरा नूर के निधन से संगीत जगत को अपूरणीय क्षति हुई है।
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पाकिस्तान की प्रधानमंत्री ने ट्विटर पर पोस्ट किया, गजल हो या गीत, नैय्यरा नूर ने जो भी गाया, उन्होंने उसे पूर्णता के साथ गाया। नूर की मृत्यु से पैदा हुआ शून्य कभी नहीं भरेगा।