नर्मदा नहर परियोजना: अधिकारियों के बीच नोंक—झोंक में सिमट गई नर्मदा पानी की बैठक, गुजरात नहीं दे रहा राजस्थान के हिस्से का पानी

इस साल नर्मदा नहर से किसानों की जरूरत का पानी नहीं मिला है। नहर से इन दो जिलों में 2 लाख 86 हजार हेक्टेयर में सिंचाई होती है। वीडियो कॉन्फ्रेसिंग में राजस्थान व गुजरात के अधिकारी एक दूसरे राज्य के पानी लेने के सिस्टम को गलत-सही बताते रहे। बैठक एक घंटे से ज्यादा समय तक चली। इसके बाद बिना किसी समाधान के खत्म हो गई

अधिकारियों के बीच नोंक—झोंक में सिमट गई नर्मदा पानी की बैठक, गुजरात नहीं दे रहा राजस्थान के हिस्से का पानी

जालोर | गुजरात की नर्मदा नदी के पानी को लेकर हुई बैठक में अफसरों की नोंक—झोंक में सिमटकर रह गईं। एक बार फिर से राजस्थान को उसके पूरे हिस्से का पानी नहीं मिल रहा है। यह बैठक वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से हुई। राजस्थान की ओर से जल संसाधन विभाग के ओएसडी धीरज जौहरी, मुख्य अभियंता जोधपुर समेत कई अधिकारी वीडियो कॉन्फ्रसिंग में शामिल थे।  
बताया जा रहा है कि बैठक में राजस्थान प्रदेश की आशा के अनुरूप कोई नतीजा नहीं निकल पाया। नर्मदा के पानी पर राजस्थान का भी हक है और गुजरात उसके हिस्से का पूरा पानी नहीं दे रहा है। राज्य के जालोर, सांचौर और बाड़मेर के किसानों की जीवन रेखा बनी नर्मदा नहर के पानी को लेकर राजस्थान और गुजरात लम्बे समय से आमने—सामने हैं। गुरुवार को नर्मदा कंट्रोल बोर्ड और राजस्थान के जल संसाधन विभाग के अफसरों के बीच वीडियो कॉन्फ्रेसिंग से नर्मदा के पानी को लेकर चर्चा हुई। बैठक में राजस्थान के जल संसाधन विभाग के अधिकारी नर्मदा से मिल रहे कम पानी की समस्या का समाधान नहीं करा सके। नर्मदा के पानी को लेकर दोनों ही राज्यों के अधिकारियों के बीच नोक झोंक भी हुई। वीडियो कॉन्फ्रेसिंग में राजस्थान व गुजरात के अधिकारी एक दूसरे राज्य के पानी लेने के सिस्टम को गलत-सही बताते रहे। बैठक एक घंटे से ज्यादा समय तक चली। इसके बाद बिना किसी समाधान के खत्म हो गई
विधायक ने दावा किया था रंग ला रहे प्रयास
नर्मदा के पानी को लेकर होने वाली बैठक पर सुखराम विश्नोई ने भी ट्वीट किया था। अपने ट्वीट में सुखराम बिश्नोई ने कहा था कि आखिरकार हमारे प्रयास रंग ला रहे हैं। हालांकि राजस्थान को उसके हक का नर्मदा नहर का पानी गुजरात नहीं दे रहा है। आपको बता दें कि जब नर्मदा परियोजना की शुरूआत 2008 में हुई थी तब सांचौर के सीलू हैड पर हुए कार्यक्रम में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी नाम होने के बावजूद आए भी नहीं थे। यही नहीं केन्द्रीय जल प्राधिकरण में भी राजस्थान के अफसरों की कमजोर पैरवी राजस्थान को इस मुद्दे पर लगातार पीछे धकेल रही है। जबकि करीब पचास साल पहले राजस्थान और गुजरात के बीच हुए माही जल समझौते में यह तय हुआ था कि गुजरात नर्मदा नहर के जरिए राजस्थान को पानी देगा। आपको बता दें कि इस साल नर्मदा नहर से किसानों की जरूरत का पानी नहीं मिला है। नहर से इन दो जिलों में 2 लाख 86 हजार हेक्टेयर में सिंचाई होती है।

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