टोक्यो ओलिंपिक में लवलिना का ब्रॉन्ज: ओलिंपिक में पहली बार उतरीं 23 साल की लवलिना सेमीफाइनल में हारी, ब्रॉन्ज पदक के साथ लौटेंगी
टोक्यो ओलिंपिक में 23 साल की भारतीय महिला बॉक्सर लवलिना बोरगोहेन को इस बार ब्रॉन्स से ही संतोष करना पड़ेगा। बुधवार को सुबह हुए सेमीफाइनल मुकाबले में लवलिना को हार का सामना करना पड़ा है। लवलिना ब्रॉन्ज लेकर ही भारत लौटेंगी। ऐसा करने वाली वो दूसरी महिला बॉक्सर हैं, इससे पहले 2012 में मेरीकॉम ने ब्रॉन्ज जीता था।

नई दिल्ली, एजेंसी।
टोक्यो ओलिंपिक(Tokyo Olympics) में 23 साल की भारतीय महिला बॉक्सर लवलिना बोरगोहेन (Lovlina Borgohain) को इस बार ब्रॉन्स से ही संतोष करना पड़ेगा। बुधवार को सुबह हुए सेमीफाइनल मुकाबले में लवलिना को हार का सामना करना पड़ा है। लवलिना ब्रॉन्ज लेकर ही भारत लौटेंगी। ऐसा करने वाली वो दूसरी महिला बॉक्सर हैं, इससे पहले 2012 में मेरीकॉम ने ब्रॉन्ज जीता था। 69 किलो वेट कैटेगरी के इस मुकाबले में लवलिना ने नंबर वन तुर्की की बुसेनाज सुरमेली (Busenaj surmeli) के खिलाफ मैच हुआ था। उम्र और अनुभव का अंतर साफ नजर आया, पर बुसेनाज को लडख़ड़ा देने वाले लवलिना के कुछ मुक्कों ने बता दिया कि अगली बार के लिए उम्मीदें सुनहरी हैं।
लवलिना और बुसेनाज के बीच नहीं हुई बाउट
भारतीय खिलाड़ी लवलिना (Lovlina) और तुर्की बुसेनाज (Busenaj) के बीच अब तक कोई बाउट नहीं हुई थी। बुधवार को इनके बीच पहली भिड़ंत हुई थी। दोनों ही खिलाडिय़ों के पास एक-दूसरे के खिलाफ लडऩे का अनुभव नहीं था, पर नंबर वन बुसेनाज अनुभव में भारी पड़ीं। पहले ही राउंड से उन्होंने लवलिना पर बढ़त बना ली। लगातार पंचेज से ये अंतर और बढ़ता गया। उधर, शुरुआती बाउट में बुसानेज( Busenaj) को परख रही लवलिना ने अटैक करने में देरी कर दी। लवलिना के पास हाइट एडवांटेज(Height advantage) था। लवलिना की लंबाई 5 फीट 9.7 इंच है। वहीं, तुर्की की मुक्केबाज की लंबाई 5 फीट, 6.9 इंच। लंबाई में 2.8 इंच की बढ़त की एडवांटेज वो हासिल नहीं कर सकीं।
किस बॉक्सिंग से लेकर बॉक्सिंग तक का सफर
लवलिना ओलिंपिक में भाग लेने वाली असम (Assam) की पहली महिला खिलाड़ी भी हैं। वे असम के गोलाघाट जिले(Golaghat district) की रहने वाली हैं। लवलिना बॉक्सिंग में आने से पहले किक बॉक्सिंग (kick boxing) करती थीं। वे किक बॉक्सिंग में नेशनल लेवल पर मेडल जीत चुकी हैं। लवलिना ने अपनी जुड़वा बहनों लीचा और लीमा को देखकर किक बॉक्सिंग करना शुरू किया था और अब इतिहास रच दिया है। स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया (Sports Authority of India) के असम रीजनल सेंटर में सिलेक्शन होने के बाद लवलिना बॉक्सिंग की ट्रेनिंग लेने लगी थीं। लवलिना की दोनों बहनें भी किक बॉक्सिंग में नेशनल स्तर पर मेडल जीत चुकी हैं। लवलिना को बचपन में काफी संघर्ष करना पड़ा। उनके पिता टिकेन बोरगोहेन की छोटी सी दुकान थी। बताया जा रहा है कि लवलिना के पास ट्रैकसूट तक नहीं था। इक्विपमेंट और डाइट के लिए संघर्ष करना पड़ता था।
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