चेहरे पर मुस्कान लाने की कवायद: धरोहर राशि लौटाकर किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की कवायद

विद्युत वितरण निगमों द्वारा सौर ऊर्जा उत्पादकों के पक्ष में लैटर ऑफ क्रेडिट (एल.सी.) भी जारी किया जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप इस योजना के अंतर्गत कृषकों एवं विकासकत्र्ताओं को परियोजना स्थापना के लिए बैंकों से ऋण प्राप्त करना और सुलभ हो गया है।

धरोहर राशि लौटाकर किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की कवायद

जयपुर। राज्य में क्रियान्वित की जा रही कुसुम कम्पोनेंट-ए योजना के अन्तर्गत अपनी बंजर व अनुपयोगी भूमि पर सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापना के लिए चयनित कृषकों व विकासकर्ताओं को सरकार द्वारा बड़ी राहत प्रदान की गई है। 
इस योजना के अंतर्गत परियोजना स्थापना की अंतिम तिथि को 7 जुलाई 2021 से बढ़ाकर 31 मार्च 2022 कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त जो किसान एवं विकासकत्र्ता योजना के अंतर्गत सौर संयंत्र स्थापित करने के लिए बैंकों से वित्तीय ऋण प्राप्त नहीं कर पा रहे है, उन्हें उनके द्वारा जमा करवाई गई एक लाख रुपये प्रति मेगावाट धरोहर राशि तथा 5 लाख रुपये प्रति मेगावाट परियोजना सुरक्षा राशि वापस लौटाने का निर्णय किया गया है।
कुसुम कंपोनेंट-ए योजना में किसानों व विकासकत्र्ताओं से क्रय की गई विद्युत का भुगतान राजस्थान विद्युत वितरण निगमों द्वारा नियत समय पर किया जा रहा है। साथ ही विद्युत वितरण निगमों द्वारा सौर ऊर्जा उत्पादकों के पक्ष में लैटर ऑफ क्रेडिट (एल.सी.) भी जारी किया जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप इस योजना के अंतर्गत कृषकों एवं विकासकत्र्ताओं को परियोजना स्थापना के लिए बैंकों से ऋण प्राप्त करना और सुलभ हो गया है। कृषकों की बंजर एवं अनुपयोगी भूमि पर सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना कर कृषकों को अतिरिक्त आय सृजित करवाने के लिए राज्य सरकार कृत्तसंकल्पित है। इस योजना के अंतर्गत प्रदेश में 623 कृषकों व विकासकत्र्ताओं द्वारा 722 मेगावाट क्षमता की सौर ऊर्जा परियोजनाओं का आवंटन किया गया है, जिसमें से 7 परियोजनाओं से 9 मेगावाट विद्युत का उत्पादन प्रारम्भ हो चुका है तथा लगभग 15 अन्य परियोजनाएं स्थापनाधीन है। 
राज्य सरकार सौर ऊर्जा उत्पादकों को बैंको से ऋण उपलब्ध करवाए जाने के लिए निरंतर प्रयासरत है। इसके तहत राजस्थान विद्युत वितरण निगमों द्वारा त्रिपक्षीय अनुबंध कर एसक्रो एकाउंट खोले जा रहे है। इसके अंतर्गत ऋणदाता बैंक, कृषक व विकासकत्र्ता एवं राजस्थान विद्युत वितरण निगमों के बीच एक अनुबंध किया जाता है तथा वितरण निगम द्वारा बिजली बिल के भुगतान की राशि में से  प्रथमत: ऋणदाता बैंक की मासिक किश्त अदा की जाती है। विद्युत वितरण निगम द्वारा एल.सी. एवं एस्क्रो अकाउंट खोले जाने के कारण बैंकों का ऋण सुरक्षित हो जाने से बैंकों द्वारा बिना रहन कृषकों व विकासकर्ताओं को ऋण प्रदान किया जाना संभव हो सकेगा।

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