राजस्थान में नई राजनीति की आहट: शरद पवार की पार्टी रांकापा राजस्थान में अपने उम्मीदवार उतारेगी

राजस्थान में तीन विधानसभा सीटों पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी अपने उम्मीदवार उतारेगी। विधायकों के असामयिक निधन से खाली हुई सुजानगढ़, राजसमंद और सहाड़ा सीटों पर उप चुनाव होने हैं। भारतीय राजनीति के सबसे पुराने क्षत्रप शरद पवार के नेतृत्व वाली राकांपा ने इन तीनों सीटों पर स्वतंत्र चुनाव लड़ने का फैसला किया है।

शरद पवार की पार्टी रांकापा राजस्थान में अपने उम्मीदवार उतारेगी

जयपुर | राजस्थान में तीन विधानसभा सीटों पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी अपने उम्मीदवार उतारेगी। विधायकों के असामयिक निधन से खाली हुई सुजानगढ़, राजसमंद और सहाड़ा सीटों पर उप चुनाव होने हैं। भारतीय राजनीति के सबसे पुराने क्षत्रप शरद पवार के नेतृत्व वाली राकांपा ने इन तीनों सीटों पर स्वतंत्र चुनाव लड़ने का फैसला किया है। इस संबंध में राकांपा के प्रदेश अध्यक्ष उम्मेदसिंह चम्पावत ने संगठन से जुड़ी गतिविधियों के संबंध में कार्रवाई भी प्रारंभ कर दी है।
आपको ज्ञात रहे कि राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस ने पहली बार राकांपा से गठबंधन करते हुए पाली जिले की बाली विधानसभा सीट से उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारा था। हालांकि कांग्रेस और राकांपा का यह गठबंधन पाली जिले की छहों विधानसभा सीटें हारा। परन्तु राकांपा प्रत्याशी उम्मेदसिंह चम्पावत पूर्व मंत्री पुष्पेन्द्रसिंह के सामने कड़ी टक्कर देने में सफल रहे थे। उन्होंने छहों विधानसभा क्षेत्रों में इस गठबंधन के प्रत्याशी के नाते सबसे अधिक 68 हजार 51 वोट हासिल किए और सबसे नजदीकी टक्कर भी गठबंधन की ओर से दी। 


इसलिए होंगे चुनाव
आपको बता दें कि राजस्थान में सहाड़ा विधायक कैलाशचन्द्र त्रिवेदी, सुजानगढ़ विधायक और मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल तथा राजसमंद विधायक पूर्व मंत्री किरण माहेश्वरी के निधन के बाद तीन विधानसभा क्षेत्र में उप चुनाव होने हैं। राकांपा ने तेवर दिखाते हुए इससे पहले कई जगह निकाय और पंचायत चुनावों में भी प्रत्याशी उतारे हैं। जिस तरह से हनुमान बेनिवाल ने बीजेपी को तेवर दिखाते हुए अलग राह पकड़ी है। उसी तरह अब यह पार्टी सीधे तौर पर अपने वोट बैंक बनाने और संगठन को मजबूत करने की दिशा में आगे आने का सोच रही है।

इस संबंध में प्रदेशाध्यक्ष उम्मेदसिंह चम्पावत का कहना है कि पार्टी यह कोशिश कर रही है कि ऐसे लोग जो निष्ठा और ईमानदारी की राजनीति चाहते हैं वे हर बार ठगे जा रहे हैं उन्हें राकांपा से साथ जोड़ा जाए। महाराष्ट्र में आज हमारी पार्टी जनहित के कार्यों की भूमिका के चलते अपने गठन के समय से राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद पवार के नेतृत्व में लगातार निर्णायक भूमिका में है। संसद में प्रत्येक राज्य और वर्ग के लिए मुखरता से बात रखी जाती है। राजस्थान में जनता के साथ छल ही होता जा रहा है और विकल्पों का अभाव है। ऐसे में एक राष्ट्रीय स्तर की पार्टी होने के नाते राकांपा यह चुनाव अपने दम पर लड़ेगी और आने वाले समय में राजस्थान के नागरिकों की उम्मीदों को पूरा करने के लिए लोगों को जोड़ते हुए सकारात्मक और सुलझी हुई राजनीति की ओर प्रदेश को लेकर जाएगी। इसके लिए संगठन स्तर पर तैयारियां शुरू की गई है और शीघ्र ही आगामी रणनीति की घोषणा की जाएगी।


राष्ट्रीय पार्टी है राकांपा
राजस्थान में बसपा के विजेता प्रत्याशी हर बार दल बदलकर सरकारों के साथ जा रहे हैं। ऐसे में वैकल्पिक पार्टियों की कमी से जूझ रहे लोगों को राकांपा एक बड़ी उम्मीद लग सकती है। हालांकि तीन विधानसभा और एक लोकसभा सीट के साथ एनडीए गठबंधन वाली हनुमान बेनिवाल की आरएलपी भी जनाधार जुटाने में लगी है, लेकिन वह राज्य स्तर का दल है और अन्य राज्यों में उसका आधार नहीं है। साथ ही उसका वोट बैंक सिर्फ जातीय है। लोग यह जानते हैं कि जातिगत आधार पर वोट पाए जा सकते हैं और जीता भी जा सकता है। परन्तु निष्पक्ष शासन देना संभव नहीं होता। ऐसे में बुद्धिजीवी वर्गों के बीच राकांपा का आधार खड़ा करने की कोशिश यहां की राजनीतिक फिजाओं में एक नया रंग बिखेर सकती है।

इन राज्यों में प्रभावी है राकांपा

राकांपा महाराष्ट्र के अलावा केरल, गोवा, झारखंड, गुजरात और मेघालय में विधानसभा सीटों पर चुनाव जीतकर अपनी प्रभावी उपस्थिति दिखा चुकी है। साथ ही लोकसभा और राज्यसभा में भी इसका आधार है। ऐसे हालात में NCP यदि प्लानिंग के साथ यह कदम उठाती है तो राजस्थान के लोगों को एक नया विकल्प मिल सकता है जो यहां की राजनीति को नई दिशा देने वाला होगा।

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