श्री राजपूत सभा चुनाव : श्री राजपूत सभा चुनाव के लिए सुरेन्द्रसिंह शेखावत शाहपुरा ने जारी किया घोषणा पत्र, 17 अप्रैल को होने हैं चुनाव

राजपूत सभा के चुनाव में कई प्रत्याशी ताल ठोक रहे हैं। समाज के लोगों के बीच अपना—अपना प्रभावी बताने, जताने और पैदा करने के लिए जतन चरम पर है। प्रत्याशियों के अपने—अपने दावे हैं और अपने—अपने वादे। अधिकांश मतदाता जो सामाजिक भाव से आप्लावित होकर इस संगठन में समर्पित भाव से काम कर रहे हैं, सोच रहे हैं कि किसे जवाबदारी सौंपे

श्री राजपूत सभा चुनाव के लिए सुरेन्द्रसिंह शेखावत शाहपुरा ने जारी किया घोषणा पत्र, 17 अप्रैल को होने हैं चुनाव

जयपुर | एक समाज का प्रतिनिधि तय करने के लिए चुनाव कितना जरूरी है? जो प्रभावशाली (धन, बल, विचार अथवा राजनीतिक प्रभावी) है उसे तय कर दिया जाए? यदि कोई समाज अपना प्रतिनिधि चुनने के लिए चुनाव कराए तो यह साफ है कि उस समाज की आस्था लोकतांत्रिक व्यवस्था में बढ़ रही है। ऐसे में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत कराए जा रहे चुनाव उस समाज को एक अनूठी चेतना तो देते ही हैं, बल्कि अन्य समाजों में एक विशिष्टता भी प्रदान करते हैं।

यह बात चल रही है राजस्थान में चल रहे राजपूत सभा के चुनाव के संदर्भ में। यहां कई प्रत्याशी ताल ठोक रहे हैं। समाज के लोगों के बीच अपना—अपना प्रभावी बताने, जताने और पैदा करने के लिए जतन चरम पर है। सभी प्रत्याशियों के अपने—अपने दावे हैं और अपने—अपने वादे। ऐसे में अधिकांश मतदाता जो सामाजिक भाव से आप्लावित होकर इस संगठन में समर्पित भाव से काम कर रहे हैं, सोच रहे हैं कि किसे इस महान संगठन की जवाबदारी सौंपें।

किसे चुनें अपना प्रतिनिधि? कौन होगा जिसके काम पर हम गर्व से कह सकेंगे कि हम इस सभा के रत्न है, जिसका ताज वह व्यक्ति है, जिस पर हमें ही नहीं पूरी कौम को गर्व है। हम इस मुद्दे पर बात कर रहे हैं अध्यक्ष का  चुनाव लड़ रहे सुरेन्द्रसिंह शेखावत से। शेखावत क्षत्रिय विकास बोर्ड के गठन की मांग प्रमुखता से कर रहे हैं। उनसे सामाजिक संगठन के लिए लोकतांत्रिक चुनाव, नेतृत्व की आवश्यकता समेत पहलुओं पर उनके विचार जानते हैं।

आप यह चुनाव क्यों लड़ रहे हैं? एक समाज में प्रतिनिधि के लिए चुनाव की आवश्यकता क्यों है?

भविष्य उनका होता है जो चुनौतियों और अवसरों का सामना करने के लिए आज पूर्णत: तैयार हैं। वर्तमान लोकतांत्रिक व्यवस्था में किसी भी जाति अथवा समाज का उत्थान न केवल संगठन बल्कि दूरदर्शी एवं कुशल नेतृत्व पर निर्भर करता है। मैं यह मानता हूं कि समाज के उत्थान के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण ​जिसमें राजनीतिक, सामाजिक, शैक्षणिक एवं आर्थिक आयामों का समावेश आवश्यक है। मैं इस चुनाव के माध्यम से सामाजिक लोकतंत्र को मजबूती प्रदान कर विकास के नए आयाम गढ़ना चाहता हूं।

आपकी नजर में सामाजिक प्रतिनिधि की छवि कैसी होनी चाहिए?

आचरण, सामाजिक सुरक्षा और निर्वाह आदि की प्रमुख क्रियाएं किसी भी सफल समाज का आधार होती है। समाज के प्रतिनिधि में यह भाव सबसे प्रमुखत: आवश्यक है। सामाजिक प्रतिनिधि की छवि कैसी है इस आधार पर ही अन्य व्यवस्थाएं समाज की छवि का आकलन करती है। 

यदि व्यक्ति आर्थिक तौर पर सफल हो और वोट मिल जाए तो  तो छवि बदल भी जाती है, आज का जमाना यह मानता भी है। इस पर आप क्या कहेंगे?

समाज का प्रतिनिधि यदि बेहतर छवि वाला नहीं हो तो समाज को भी अच्छी नजर से नहीं देखा जाता। ऐसे में पूरे समाज का उत्तरदायित्व बनता है कि वह समाज की छवि को उज्ज्वल करने के लिए एक चेतना से पूरित और उत्तम चरित्र के ऐसे ​व्यक्ति का चयन करे। जो न केवल समर्थ और सक्षम हो, बल्कि अपनी कौम के लिए किसी भी हद तक जाकर उसके लिए ऐसा काम करे जो पीढ़ियों तक गर्व का विषय बने। सामाजिक छवि बदलना किसी चित्र का बदलना नहीं है। समाज के संदर्भ में छवि का अर्थ एक आदर्श चरित्र से है। चरित्र यदि उज्ज्वल है तो वह और अधिक चमकेगा या मलिन हो जाएगा और यदि कलंकित है तो वह उज्ज्वल नहीं हो सकता। 

काम तो पूरे समाज को करना है फिर प्रतिनिधि कोई भी हो क्या फर्क पड़ता है? समाज को किसी प्रतिनिधि की आवश्यकता ही क्यों है?

बिना अच्छे प्रतिनिधि के कोई भी समाज सिर्फ एक भीड़ है। हमें सोचना है कि क्या हम एक भीड़ तो नहीं बना रहे? एक समाज का प्रतिनिधि यदि सामाजिक परम्पराओं—रीतियों, सामाजिक अधिकार और कर्तव्य, सामाजिक स्वतंत्रता और कार्यप्रणाली, पारस्परिक सहयोग और अपनी टीम के संयोजन के साथ काम करने में यदि सक्षम नहीं है तो उसे प्रतिनिधि के तौर पर चुना जाना ठीक नहीं होगा। केवल चुनाव के समय क्षणिक प्रभाव में आकर किसी भी को चुन लेना समझदारी नहीं है। ऐसा व्यक्ति चाहिए जो समाज के लिए समय, श्रम और अर्थ तीनों को बेहतर संयोजन के साथ खर्च कर सके।

तो आपकी नजर में इस सभा के प्रतिनिधि की खासियत क्या होनी चाहिए?

इस सभा के प्रतिनिधि का एक कदम, एक व्यवहार, एक आचरण, एक निर्णय पूरे समाज का निर्णय है। ऐसे में वह प्रतिनिधि कौन हो? उसकी ताकत क्या हो? सिर्फ पैसा? सिर्फ बल? नहीं! मानव सभ्यता के विकास में सबसे बड़ा बदलाव तब आता है, जब मनुष्य विचार करना प्रारंभ करता है। वह पशु से अलग इसी मायने में है। विचार करने की ताकत सभी में होती है। परन्तु क्या जो विचार व्यक्ति अपने मन में ला रहा है, वह ताकतवर है या नहीं? उन विचारों को वह कम्युनिकेट कर पाएगा या नहीं? क्या वे विचार वह कार्यान्वित कर पाएगा या नहीं? ऐसे में ऐसा व्यक्ति किसी सामाजिक संगठन का मुखिया होने की अधिकारिता रखता है, जिसके पास प्रभावशाली विचार हों। उन विचारों को अपने समूह ही नहीं बल्कि अन्य समाजों के बीच रखने की प्रभावशीलता हो और रखे गए विचारों को कार्यान्वित करने की क्षमता हो।

यदि समाज आपको चुनता है तो प्राथमिकताएं क्या रहेगी?

श्री राजपूत सभा एक प्रतिष्ठित संस्थान है और इसका एक अनूठा इतिहास है। इसका अध्यक्ष चुना जाना एक चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारी से रूबरू होना ​है। फिलहाल सभा पर जीएसटी व कर संबंधी मामले चल रहे हैं। मैं अच्छी तरह से जानता हूं कि संस्था को ऐसी परीस्थितियों से कैसे निकालना है। कैसे इसके वित्तीय लेखे प्रभावी करने है। कैसे पारदर्शिता लानी है। साथ ही इस संस्था को एक प्रभावी लोकतांत्रिक व्यवस्था देने के लिए नए आजीवन सदस्यों को निरंतर जोड़ना, सभी पदाधिकारियों के कार्यकाल की कालावधि अधिकतम दो वर्ष करने जैसे काम प्राथमिकता से किए जाएंगे। यही नहीं हम मेम्बरशिप को आनलाइन करेंगे। आवेदन भी आनलाइन हो सकेंगे और सदस्यों का आनलाइन डेटाबेस भी बनाएंगे। चूंकि यह एक गैर राजनीतिक संस्था है तो इसे किसी राजनीतिक संगठन का प्रचारक नहीं बनने दिया जाएगा। परन्तु राजपूत समाज का प्रदेश की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान रहे, यह प्रयास निरंतर करेंगे।

क्षत्रिय समाज के लिए सरकार के स्तर पर विकास बोर्ड की स्थापना, ईडब्ल्यूएस की विसंगतियों को दूर करने के उपाय के साथ—साथ युवाओं की अकादमिक शिक्षा में डिजिटल जैसे नवाचारों के माध्यम से बेहतरी और भर्ती परीक्षाओं के लिए कोचिंग जैसे काम प्राथमिकता से करेंगे। यही नहीं स्कॉलरशिप, स्किल डवलपमेंट के उपाय प्रभावी करने के साथ—साथ एम्प्लोयमेंट सेल की स्थापना भी करेंगे। एसएमएस इंस्टीट्यूट और हॉस्टल का प्रभावी संचालन करने के साथ सामाजिक व्यवस्थाओं में सरकारी भागीदारी और सरकारी व्यवस्थाओं में सामाजिक भागीदारी के बीच एक प्रभावी कड़ी बनेंगे। इसकी फीस को भी व्यावहारिक करेंगे। साथ ही जरूरतमंदों और प्रतिभावानों के लिए छात्रवृत्ति जैसे उपाय किए जाएंगे। एनडीए—सीडीएस के कोर्सेज प्रारंभ करने की योजना है। वहीं वीरांगनाओं, विधवा और परित्यक्ताओं के आर्थिक स्वावलम्बन के लिए और उनकी संतानों के लिए भी जॉब के लिए विशेष उपाय करेंगे। प्रतिभाशाली लोगों का सम्मान समारोह भी आयोजित करेंगे।

इसके लिए सरकारी स्तर पर मिल रही योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए स्वयंसेवकों के माध्यम से न केवल समाज में जागरूकता जागृत करेंगे बल्कि वंचित वर्ग की मदद के लिए भी काम करेंगे। इसके लिए बड़े स्तर पर कैम्प भी लगाएंगे। आर्थिक रूप से कमजोर राजपूत बंधुओं को चिकित्सा सहायता का भी एक बड़ा मुद्दा है। पुलिस, राजस्व, सामाजिक संपत्ति, पारीवारिक विवादों के मुद्दों को हम किस तरह से सकारात्मक रूप में सुलझा सकें, इसके लिए विशेष उपाय करेंगे। इन विभागों के जुड़े अनुभवी लोगों का एक परामर्श मण्डल बनाकर इन प्रकरणों को सुलझाने में प्रभावी काम करेंगे।

सुरेन्द्रसिंह शेखावत का एक परिचय

राजपूत सभा के अध्यक्ष के पद के लिए चुनाव लड़ रहे सुरेन्द्रसिंह शेखावत फैडरेशन आफ हॉस्पिटैलिटी एवं टूरिज्म आफ राजस्थान के उपाध्यक्ष, होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन आफ राजस्थान तथा फिक्की के कार्यकारी सदस्य हैं। शाहपुरा—मनोहरपुरा के राव धीर सिंह जी व पूर्व विधायक श्रीमती गुणवंत कंवर के घर जन्मे सुरेन्द्रसिंह शेखावत में नेतृत्व के गुण विरासत में आए हैं। बड़े भाई विधानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष रह चुके हैं और प्रखर वक्ता होने के साथ—साथ एक आदर्श व्यक्तित्व के रूप में हजारों लोगों के आदर्श हैं। नेतृत्व गुणों और आत्मविश्वास के चलते आप पर्यटन जैसे प्रतिष्ठित व्यवसाय में शिखर पर हैं। आपकी भार्या रानी रत्ना कुमारी सामाजिक, महिला उत्थान और रोजगार संवर्धन के कार्यों में शिद्दत से जुटे हैं।

— ऋचा एस. चंदेल

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