माउंट में बंट रही पट्टों की रेवड़ी: संपत्ति बेची 2021 में, डेढ़ साल बाद विक्रेता ने उसी के नाम पर ले लिया पट्टा

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मंशा है कि राजस्थान में आमजन को उनके आशियाने का पट्टा मिले। इसके लिए मुख्यमंत्री के निर्देशों पर स्थानीय निकाय क्षेत्रों में प्रशासन शहरों के संग अभियान चलाया जा रहा है। इन अभियानों में पट्टों की रेवड़ी कुछ इस अंदाज में बांटी जा रही है कि सरकार के इस नेक अभियान को ही पलीता लग रहा है।

संपत्ति बेची 2021 में, डेढ़ साल बाद विक्रेता ने उसी के नाम पर ले लिया पट्टा

सिरोही। कोई व्यक्ति यदि अपना मकान किसी अन्य को बेच दें तो क्या बेचने वाले को संबंधित स्थानीय निकाय से मकान का पट्टा मिल सकता है। कानून के जानकारों का जवाब होगा-नहीं। लेकिन, राजस्थान में ऐसा हो रहा है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मंशा है कि राजस्थान में आमजन को उनके आशियाने का पट्टा मिले। इसके लिए मुख्यमंत्री के निर्देशों पर स्थानीय निकाय क्षेत्रों में प्रशासन शहरों के संग अभियान चलाया जा रहा है। इन अभियानों में पट्टों की रेवड़ी कुछ इस अंदाज में बांटी जा रही है कि सरकार के इस नेक अभियान को ही पलीता लग रहा है। बिके हुए मकान का पट्टा विक्रेता के नाम जारी करने का यह कारनामा कर दिखाया है माउंट आबू नगर पालिका ने।

पर्वतीय पर्यटन स्थल माउंट आबू नगर पालिका ने पट्टा वितरण अभियान के नाम पर कमाई का नया रास्ता खोज लिया है। अभियान के तहत पालिका प्रशासन ने अब तक दर्जनों पट्टे वितरित किए हैं। अगर इनकी जांच बिठाई जाए तो न केवल असलियत सामने आ जाएगी, बल्कि कई नए कारनामे भी सामने आ जाएंगे। आबू पर्वत के तोरणा निवासी नेवी के एक्स सर्विसमैन 43 वर्षीय जोगेन्द्र सिंह पुत्र जुगल किशोर जाट के साथ हुई साजिश का खुलासा फर्स्ट भारत ने गुरुवार को जान की हिफाजत मांग रहा नेवी का सिपाही: हक के लिए आवाज उठाई तो मिल गया शांति भंग करने की चेष्टा में पाबंदी का नोटिस शीर्षक से जारी समाचार में किया था। अब इसी कड़ी में जान लीजिए उसकी साजिश को आवाज देने वाले परवाजों के बारे में।
जाेगेन्द्र सिंह का कहना है कि वह अपने परिवार सहित आबूपर्वत पर निवास करता रहा है। उसकी पत्नी रेखा रानी व उसकी बहिन शशि एवं बबली तथा तानाराम गायकवाड निवासी आबूपर्वत व अजय पुत्र जगदीश निवासी आबूपर्वत, राजेश पंजाबी निवासी आबूपर्वत, समीर बाबा निवासी आबूपर्वत, बिहारी लाल पूर्बिया निवासी आबूपर्वत, जगदीश पुत्र लालजी भाई निवासी सूरत करीब दो वर्ष पहले से उसे जान से मारने का प्रयास कर रहे हैं। अठारह जून 2021 को जमीन के सौदे के बहाने तानाराम व उसकी पत्नी रेखा रानी के कहने पर समीर उसे गाडी में बिठाकर यासीर भाई के घर भरूच लेके गया, तब उसे जानकारी मिली कि उसकी पत्नी उसे मरवाना चाहते हैं। जैसे-तैसे कर जान बचाकर वहां से भाग कर आ गया। आबू पर्वत पहुंचने के बाद उसने यह घटना पत्नी व बच्चों को बताई तो पत्नी ने उसे धमकाया। उसे नशे का आदी बताकर आठ सितम्बर 2021 को जबरन फर्जी नशा मुक्ति केन्द्र पलवल हरियाणा में भर्ती करा दिया गया। उसे एक अप्रैल 2022 तक नशा मुक्ति केन्द्र में रखा गया। इसी दरम्यान उसकी खरीदशुदा सम्पति को बिहारी लाल पूर्विया ने अपने नाम करवा लिया। खेल यही हुआ। बिहारीलाल पूर्विया वह शख्स हैं, जिसे नवम्बर 2021 में जोगेन्द्र की पत्नी रेखा रानी ने अपना रहवासीय मकान बेचा। इसके बदले उसे पैसा मिल गया।

हाल ही में प्रशासन शहरों के संग अभियान में जब पट्टा वितरण शुरू हुआ तो रेखा रानी ने भी आवेदन किया, जिस पर उसे नगर पालिका ने पट्टा दे दिया। बड़ा सवाल यही है कि जब संपति गुजरात के किसी व्यक्ति को बेच दी गई तो फिर विक्रेता को उसे मिल्कियत का पट्टा कैसे मिल गया। इसका जवाब निर्माण समिति अध्यक्ष नारायण सिंह भाटी देते हैं। वे कहते हैं कि क्या हो गया पट्टा मिल गया तो, रद्द हो जाएगा। अगर किसी ने आपत्ति दी है तो नगर परिषद आयुक्त को पट्टा रदद करने का अधिकार है। बाकायदा इस मामले की जांच होगी और उसके बाद प्रक्रियानुसार पट्टा रद्द कर दिया जाएगा। सवाल यह भी है कि पट्टा वितरण के लिए आवेदन करते समय पालिका प्रशासन ने संबंधित दस्तावेजों की जांच क्यों नहीं की। जब संपत्ति बेच दी गई तो फिर उसके पट्टे के लिए आवेदन आते समय ही जांच क्यों नहीं कर ली गई। भौतिक सत्यापन होता तो इस फर्जीवाड़े की पोल शुरू में ही खुल जाती? इस तरह की अनियमितता के कारण अब पालिका प्रशासन के पट्टा वितरण अभियान पर अंगुलियां उठना शुरू हो गई है। उपखंड व जिला स्तरीय अधिकारियों को यह मामला संज्ञान में लेकर पालिका प्रशासन की ओर से बांटे जाने वाले पट्टों की जांच करवानी चाहिए, तभी दूध का पूरा दूध हो पाएगा।

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