गहलोत जी की भाषा अब संसद में बैन: सियासत में 'निकम्मा' शब्द का इस्तेमाल भारतीय संसदीय प्रणाली के अनुसार अब असंसदीय

संसद के अठारह जुलाई से शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र से ठीक पहले सदस्यों के उपयोग के लिए जारी इस सूची में ऐसे शब्द या वाक्य शामिल हैं, जिन्हें लोकसभा, राज्यसभा और राज्य विधानसभाओं में वर्ष 2021 में असंसदीय घोषित किया गया था।

सियासत में 'निकम्मा' शब्द का इस्तेमाल भारतीय संसदीय प्रणाली के अनुसार अब असंसदीय

जयपुर। राजस्थान की सियासत में 'निकम्मा' शब्द पिछले कुछ समय से अपनी जगह बनाए हुए हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और विधायक सचिन पायलट के अलावा केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत को लेकर यह शब्द कहे थे। पायलट ने तो इशारों इशारों में गहलोत को जवाब दे दिया, लेकिन अब इस शब्द का इस्तेमाल भारतीय संसदीय प्रणाली के अनुसार असंसदीय माना जाएगा। हाल ही में संसद की ओर से एक सूची जारी की गई है, जिसमें असंसदीय शब्दों की जानकारी दी गई है। अब विपक्ष ने इस सूची को लेकर केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल उठाना शुरू कर दिया है।

इस मसले पर कांग्रेस नेताओं ने ट्विटर पर सरकार को घेरने की कोशिश की है। संसद के अठारह जुलाई से शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र से ठीक पहले सदस्यों के उपयोग के लिए जारी इस सूची में ऐसे शब्द या वाक्य शामिल हैं, जिन्हें लोकसभा, राज्यसभा और राज्य विधानसभाओं में वर्ष 2021 में असंसदीय घोषित किया गया था। लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी नई बुकलेट के अनुसार ऐसे शब्दों के प्रयोग को अमर्यादित आचरण माना जाएगा और ये सदन की कार्यवाही का हिस्सा नहीं होंगे। लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी नई पुस्तिका के अनुसार ऐसे शब्दों के प्रयोग को 'गैरकानूनी आचरण' माना जाएगा और यह सदन की कार्यवाही का हिस्सा नहीं होगा।

संसद में जिन शब्दों के इस्तेमाल पर बैन लगाया गया है, उनमें जुमलाजीवी, बालबुद्धि, कोविड स्प्रेडर, स्नूपगेट, शर्मिंदा, दुर्व्यवहार, विश्वासघात, भ्रष्टनाटक, पाखंड, अक्षम, धोखा, अराजकतावादी, शकुनी, तानाशाह, तानाशाही, जयचंद, विनाश पुरुष, खालिस्तानी, खून से खेती, दोहरा चरित्र, निकम्मा, नौटंकी, ढिंडोरा पीटना, बहरी सरकार, चमचा, चमचागिरी, चेला, बचकानापन, कायर, अपराधी, घड़ियाली आंसू, अपमान, गधा, चश्मदीद, गुंडागर्दी, भ्रामक, झूठ, असत्य, गदर, गिरगिट, गुंडे, अपमान, अहंकार, काला दिन, काला बाजारी, खरीद-फरोख्त, दलाल, पिट्ठू, संवेदनाहीन, लॉलीपॉप, दादागिरी, दंगा, बेचारा शब्द शामिल है।

असंसदीय अभिव्यक्ति के संकलन में राजस्थान विधानसभा में असंसदीय घोषित कुछ शब्दों को भी रखा गया है, जिसमें कांव-कांव करना, तलवे चाटना, तड़ीपार, तुर्रम खां और झारखंड विधानसभा में अससंदीय घोषित कई घाट का पानी पीना, ठेंगा दिखाना आदि शामिल हैं। इसी तरह छत्तीसगढ़ विधानसभा में कार्यवाही से हटाए गए कुछ शब्द या वाक्यों को भी रखा गया है, जिनमें बॉब कट हेयर, गरियाना, अंट-शंट, उच्चके, उल्टा चोर कोतवाल को डांटे आदि शामिल हैं।

लोकसभा में कामकाज की प्रक्रिया एवं आचार के नियम 380 के मुताबिक अगर अध्यक्ष को लगता है कि चर्चा के दौरान अपमानजनक या असंसदीय या अभद्र या असंवेदनशील शब्दों का इस्तेमाल किया गया है, तो वे सदन की कार्यवाही से उन्हें हटाने का आदेश दे सकते हैं। वहीं, नियम 381 के अनुसार सदन की कार्यवाही का जो हिस्सा हटाना होता है, उसे चिन्हित करने के बाद कार्यवाही में एक नोट इस तरह से डाला जाता है कि अध्यक्ष के आदेश के मुताबिक इसे हटाया गया।

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