सुलगता सवाल: जब पंजीयन ही नहीं था, फिर कैसे विमंदित बालिका पुनर्वास गृह में नौ बच्चियों को आठ माह से रखा
राजस्थान
04 Aug 2022
सुलगता सवाल यह है कि आठ महीनों से यह पुनर्वास गृह बिना पंजीयन संचालित हो रहा था, फिर संबंधित विभाग के अफसर क्यों चैन की नींद सो रहे थे। सरकार उन्हें काम करने का पैसा दे रही हैं, फिर भी उन्होंने राजकार्य में लापरवाही बरती। जिला प्रशासन को उन अफसरों के खिलाफ सख्त कदम उठाने चाहिए।
जालोर। दुष्कर्म की घटना के बाद विवादों में आया आहोर का स्नेहा मानसिक विमंदित बालिका पुनर्वास गृह आठ महीनेे से फर्जी तरीके से संचालित हो रहा था। माधोपुरा में चल रहे गृह का न तो सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग एवं ना ही बाल कल्याण समिति में रजिस्ट्रेशन है। एनजीओ के नाम पर आश्रम खोलते हुए अवैध तरीके से विमंदित नौ बालिकाओं को यहां पर रखा जा रहा था। संचालन जय भीम विकास सेवा संस्थान नाम के एनजीओ द्वारा किया जा रहा था, जो संचालक के पति का है। तीन दिन पहले इसमें काम करने वाली महिला के साथ दुष्कर्म का मामला सामने आने के बाद पुलिस ने संचालिका अनिताराज मेघवाल व दुष्कर्म के आरोपी जैपाराम देवासी को गिरफ्तार कर लिया है। प्रशासन ने यहां रह रही नौ बालिकाओं को उनके घर भेज दिया है। पर सुलगता सवाल यह है कि आठ महीनों से यह पुनर्वास गृह बिना पंजीयन संचालित हो रहा था, फिर संबंधित विभाग के अफसर क्यों चैन की नींद सो रहे थे। सरकार उन्हें काम करने का पैसा दे रही हैं, फिर भी उन्होंने राजकार्य में लापरवाही बरती। जिला प्रशासन को उन अफसरों के खिलाफ सख्त कदम उठाने चाहिए।
जानकारों की नजर में अगर कोई एनजीओ दिव्यांग जन क्षेत्र में कार्य करना चाहता है तो परसन विद डिसएबिलिटी एक्ट (पीडब्ल्यूयूडीए) के तहत उसका रजिस्ट्रेशन जरूरी है। सात फरवरी 1996 से लागू यह एक्ट विकलांगों के शिक्षा, रोजगार, व्यवसाय, प्रशिक्षण, आरक्षण, अनुसंधान तथा देश की भागीदारी में उनकी वकालत करता है। नाबालिग बालिकाओं को रखा जाता है तो जेजे एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन बाल कल्याण समिति में होना जरूरी है। सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता विभाग के सहायक निदेशक सुभाषचंद्र मणि कहते हैं कि दिव्यांगजन क्षेत्र में कोई एनजीओ काम करता है तो पीडब्ल्यूडी एक्ट में रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होता है। जालोर में दो संस्था का रजिस्ट्रेशन हमारे पास है। स्नेहा मानसिक विमंदित बालिका पुनर्वास गृह का कोई रजिस्ट्रेशन नहीं है। प्रशासन की ओर से जांच की जा रही है।
कलेक्टर निशांत जैन ने बाल कल्याण समिति की टीम, आहोर एसडीएम, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग और बाल अधिकारिता विभाग के अधिकारियों को मौके पर भेजा। बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष नैन सिंह शंखवाली, सदस्य रमेशकुमार, मोडसिंह काबावत, आहोर उपखंड अधिकारी विवेक व्यास, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के सहायक निदेशक सुभाष चन्द्र मणि, बाल अधिकारिता विभाग की परिवीक्षा अधिकारी मौर कंवर आहोर के स्नेहा मानसिक विमंदित गृह पहुंचे। बालिकाओं से बात की। परिजनों को फोन पर सूचित किया। देर शाम तक सभी आवासित बालिकाओं को उनके परिजनों को सुपुर्द कर दिया गया। बालिकाओं का पारिवारिक पुनर्वास करते समय बाल कल्याण समिति ने उनके परिजनों की भी काउंसलिंग की। इस गृह में 9 बालिकाएं थी, जो एक-एक पाली व सिरोही की थी। सात बालिकाएं जालोर की हैं।
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