भारत की नई उड़नपरी "धन लक्ष्मी": भारत की स्प्रिंटर दुती चंद, हिमा दास को हराकर 100 मीटर दौड में धनलक्ष्मी ने बनाया कीर्तिमान

भारत को आज नई उड़नपरी मिल गई है। तमिलनाडु की स्प्रिंटर धनलक्ष्मी ने 24वें फेडरेशन कप नेशनल एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में 100 मीटर में गोल्ड मेडल अपने नाम कर लिया। वहीं 200 मीटर में सिल्वर जीत कर नया कीर्तिमान बनाया है। धनलक्ष्मी ने 100 मी में भारत की टॉप स्प्रिंटर दुती चंद और 200 मी में हिमा दास को हराया।

भारत की स्प्रिंटर दुती चंद, हिमा दास को हराकर 100 मीटर दौड में धनलक्ष्मी ने बनाया कीर्तिमान

जयपुर।
भारत को आज नई उड़नपरी मिल गई है। तमिलनाडु की स्प्रिंटर धनलक्ष्मी ने 24वें फेडरेशन कप नेशनल एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में 100 मीटर में गोल्ड मेडल अपने नाम कर लिया। वहीं 200 मीटर में सिल्वर जीत कर नया कीर्तिमान बनाया है। धनलक्ष्मी ने 100 मी में भारत की टॉप स्प्रिंटर दुती चंद और 200 मी में हिमा दास को हराया। इतना ही नहीं, उन्होंने 200 मीटर इवेंट में पूर्व धावक पीटी ऊषा के 23 साल पहले बनाए गए रिकॉर्ड को भी तोड़ा। फेडरेशन कप के 100 मी इवेंट में 22 साल की धनलक्ष्मी ने 11.39 सेकंड का समय निकाला। वहीं, एशियन गेम्स की सिल्वर मेडलिस्ट दुती चंद 11.58 सेकंड के साथ दूसरे स्थान पर रहीं। हिमा इस इवेंट में गलत स्टार्ट की वजह से डिस्क्वालिफाई हो गईं। 100 मी में नेशनल रिकॉर्ड 11.22 सेकंड का है, जो दुती चंद ने 2019 में 59वें नेशनल ओपन चैम्पियनशिप में बनाया था। धनलक्ष्मी का रिकॉर्ड दूसरे नंबर पर है।
धनलक्ष्मी ने बनाया न्यू मीट रिकॉर्ड 
फेडरेशन कप के 200 मी इवेंट में धनलक्ष्मी ने 23.26 सेकंड लेकर न्यू मीट रिकॉर्ड बनाया। इससे पहले पीटी ऊषा ने 1998 में 23.30 सेकंड का समय निकालकर रिकॉर्ड बनाया था। जब पीटी ऊषा ने यह रिकॉर्ड बनाया था, उस वक्त धनलक्ष्मी का जन्म भी नहीं हुआ था। इस इवेंट के पहले हीट

में उन्होंने हिमा दास को हराया। हिमा 24.39 सेकंड के साथ दूसरे नंबर पर रहीं। इस इवेंट के फाइनल में दूसरे हीट में शुक्रवार को हिमा ने गोल्ड मेडल अपने नाम किया। हिमा ने 23.21 सेकंड का समय निकाला। वहीं, धनलक्ष्मी 23.39 सेकंड के साथ दूसरे नंबर पर रहीं और उन्हें सिल्वर मेडल से संतोष करना पड़ा। इवेंट जीतने के बावजूद हिमा ओलिंपिक के लिए क्वालिफाई नहीं कर सकीं। 

गुंदुर गांव की निवासी है धनलक्ष्मी
धनलक्ष्मी तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली के गुंदुर गांव की रहने वाली हैं। उन्हें बचपन में काफी गरीबी झेलनी पड़ी। उनकी मां मजदूरी का काम करती थीं। धनलक्ष्मी की दो बहनें भी हैं। उन्हें अपनी गरीबी को दूर करने के लिए खेल एक विकल्प दिखा। धनलक्ष्मी ने मंगलौर के अलावा कॉलेज से पढ़ाई की। उन्हें वहां जो भी स्टाइपेंड मिलता था, वे उसे घर भेजती थीं। कॉलेज में धनलक्ष्मी ने खो-खो खेलना शुरू किया। पर उनके कोच मनिकांदा अरुमुगम ने देखा कि वे इस गेम में उतनी अच्छी नहीं हैं। मनिकांदा खुद एक स्प्रिंटर रह चुके हैं। उन्होंने धनलक्ष्मी को एथलेटिक्स जॉइन करने कहा। इस दौरान मनिकांदा ने धनलक्ष्मी के खानपान, न्यूट्रिशन का भी ख्याल रखा। इसका नतीजा यह हुआ कि मंगलौर में हुए इंटर यूनिवर्सिटी चैम्पियनशिप में धनलक्ष्मी ने गोल्ड मेडल जीता।

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