आबू प्रशासन ने सौंपी फर्जी जांच रिपोर्ट: माउंट आबू उपखंड अधिकारी ने लिमडी कोठी के निर्माण कार्य को लेकर सौंपी फर्जी जांच रिपोर्ट, मौके पर बताया शौचालय व दीवार मरम्मत का कार्य जबकि हकीकत बयां कर रही ये तस्वीर...
माउंट आबू की लिमडी कोठी, नो कंस्ट्रेक्शन जोन में रसुखों के आगे नियम कायदे सब धरे रह गए। उपखंड अधिकारी के मुताबिक लिमडी कोठी में शौचालय व दीवार मरम्मत का कार्य हो रहा है जबकि तस्वीर में देखने के बाद खंडर पांच सितारा होटल में नजर आ रहा है।
गणपत सिंह मांडोली,
सिरोही।
सिरोही जिले के नो कंस्ट्रेक्शन जोन माउंट आबू स्थित लिमडी कोठी में चल रहा निर्माण कार्य प्रशासन की नजर में अवैध नहीं है। चौंकाने वाली बात तो यह है कि खंडर में तब्दील हो चुकी लिमडी कोठी को पांच सितारा होटल तैयार करने के बावजूद स्थानीय प्रशासन इसे मरम्मत का कार्य ही मान रहा है। इतना ही नहीं, माउंट आबू उपखंड अधिकारी ने तो जांच रिपोर्ट तक में इस अवैध निर्माण कार्य को शौचालय व दीवार मरम्मत का कार्य बताते हुए वैध करार कर दिया। जबकि इस लिमडी कोठी में आए दिन ट्रेलर ट्रक भर कर ईंट, रोडी, बजरी आ रही है। इस आधार पर उपखंड अधिकारी की जांच रिपोर्ट शत प्रतिशत फर्जी है या यूं कहा जाए कि गलत जांच रिपोर्ट तैयार कर कलेक्टर को भेजी गई।
उपखंड अधिकारी ने यह बनाई जांच रिपोर्ट
मीडिया में लिमडी कोठी के निर्माण कार्य को अवैध बताकर चल रही खबरों के बाद कलेक्टर की ओर से उपखंड अधिकारी को जांच अधिकारी बनाया गया। माउंट आबू उपखंड अधिकारी ने जांच कर रिपोर्ट भेजी कि आबू पर्वत पर लिमडी कोठी नामक भवन बहुत पुराना बना हुआ है। 14 जून 2021 को आयुक्त नगर पालिका द्वारा हल्का जमादार द्वारा जांच की गई जिसमें फर्श, शौचालय व दीवार का मरम्मत कार्य करना ही पाया गया। निम्नानुसार आवेदन व जांच के बाद भवन सामग्री व टोकन जारी कर भवन सामग्री की प्रवेश की अनुमति पश्चात मरम्मत कार्य करना पाया गया।
सवाल
...तो फिर कैसे खड़ा हो गया पांच सितारा होटल
माउंट आबू उपखंड अधिकारी की जांच रिपोर्ट के मुताबिक लिमडी कोठी में फर्श, शौचालय और दीवार मरम्मत का कार्य ही हो रहा है तो इन तस्वीरों में दिख रही टुटी हुई खंडर इमारत, एक शानदार भवन में कैसे तब्दील हो गई। हमारे पास लिमडी कोठी की दो तस्वीरें है, जिसमें एक में खंडर दिख रही है तो दूसरी में खंडर की जगह होटल नुमा आलिशान भवन नजर आ रहा है।
नई छत डालने की नहीं मिलती अनुमति, बावजूद लिमडी कोठी में बनाई जा रही आरसीसी छत
रियासतकालीन इमारत और वर्तमान में एक ऊंचे सियासी रसूखात वाले स्वामित्म की बिल्डिंग लिमडी कोठी के रिपेयरिंग कार्य पर सवाल उठने के बाद जिला प्रशासन द्वारा जारी जांच रिपोर्ट में उपखण्ड प्रशासन ने अपनी जांच रिपोर्ट जिला कलेक्टर को सौंपते हुए बताया हैं कि उपखण्ड प्रशासन द्वारा जारी परमिशन के मुताबिक ही मौके पर कार्य जारी हैं। पर शायद उपखण्ड प्रशासन की इस जांच में ये नहीं देखा गया या
इस बात का ध्यान ही नहीं रखा गया कि लिमडी कोठी की छत रिपेयरिंग की परमिशन मिलने से पहले टीन से बनी हुई थी, और वर्तमान में उस टीन की जगह आरसीसी की छत बनाई जा रही है। जांच अधिकारी शायद ये भूल गया कि दीवारों पर प्लास्टर की जगह नई दीवारों के निर्माण किया जा रहा हैं, एक शौचालय में नई टाइल्स और नया कबोड़ लगाने की जगह अनेकों नए आधुनिक शौचालय बनाए जा रहे हैं। टूटी फूटी फर्श को नई बनाने की जगह नए कमरों और नए हॉल के साथ साथ नई बालकनी का नया निर्माण किया जा रहा है!
निर्माण कार्य की अनुमति देने वाले से ही कराई जांच?
इससे ज्यादा हास्यपद मामला क्या होगा कि जिसने नो कंस्ट्रेक्शन जोन में अवैध निर्माण कार्य करने की अनुमति दी, उसे ही जांच करने के लिए सौंप दी जाए। ऐसे में जांच रिपोर्ट पर सवाल उठने तो लाजमी है। आबू-पिंडवाड़ा विधायक समाराम गरासिया ने जब केंद्र के तत्कालीन पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और प्रदेश के राज्यपाल कलराज मिश्र को लिमडी कोठी अवैध निर्माण को लेकर शिकायत की तो
फस्र्टभारत,इन सहित मीडिया में आई खबरों के आधार पर जिला प्रशासन ने आनन फानन में माउंट आबू उपखंड प्रशासन को एक पत्र लिखकर इस मामले की निष्पक्ष जांच मांग ली। आश्चर्य तो इस बात का है कि माउंट आबू उपखण्ड प्रशासन ने ही इस लिमडी कोठी में रिनोवेशन की परमिशन जारी की। अब जांच भी उपखंड प्रशासन को ही मिल गई। ऐसे साफ जाहिर हो रहा है कि माउंट आबू उपखंड प्रशासन की ओर से जारी परमिशन को गलत कैसे ठहराया जाएगा?
केवल मरम्मत की ही थी अनुमति
रियासतकालीन लिमडी कोठी को मरम्मत की इजाजत उपखण्ड प्रशासन ने नगरपालिका के जमादार की मौका रिपोर्ट के आधार पर दी थी। पर नगरपालिका के उस जमादार ने तो अपनी तथ्यात्मक रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया था कि उक्त भवन की दीवारों, शौचालय और फर्श को सिर्फ मरम्मत की जरूरत हैं। मरम्मत यानी रियासत काल में बनी दीवारों से प्लास्टर टूट रहा हैं जिसे नए प्लास्टर की जरूरत हैं। पुराने समय में बना एक शौचालय की दीवारों में सीलन आ गई हैं उसे नई टाइल्स और नया कबोड़ लगाने की आवश्यकता हैं। कोठी की फर्श जगह जगह टूट गई हैं जिसे रिपेयरिंग की जरूरत हैं। बस इससे ज्यादा कुछ नहीं। लेकिन मौके पर रसुखों के आगे सब नियम कायदे फेल हो गए, और मरम्मत की अनुमति के नाम पर कोठी को पांच सितारा होटल बना दिया गया।
नया निर्माण नहीं तो फिर ईंटो और पत्थरों की क्यों पड़ी जरूरत?
माउंट आबू प्रशासन की बातों को एक पल के लिए मान भी लें कि यहां मरम्मत की आड़ में कोई अवैध निर्माण नहीं हो रहा हैं। पर सवाल तो तब भी खड़े होते हैं कि जब निर्माण ही नहीं हो रहा तो इस जगह पर लगे ईंटो और पत्थरों का ये ढेर किसलिए? जब नया निर्माण हो ही नहीं रहा तो आए दिन ईंटो से भरे ट्रेलर लिमडी कोठी में क्यों पहुंच रहे हैं? जिन पर कार्रवाई करवाने के लिए आमजन को सामने आकर इसकी शिकायतें नगरपालिका को की जाती और उसमें बाद नगरपालिका के जिम्मेदार मौके पर पहुंचकर उसकी मात्र 5 हज़ार की रसीद काटकर उसे अपने गंतव्य के लिए छोड़ देते हैं। जबकि आम आदमी की एक कट्टा बजरी भी जुर्माने के बाद भी सीज कर दी जाती हैं? आखिर ये दोहरा रवैया आबू नगरपालिका को क्यों अपनाना पड़ रहा हैं समझ से परे है।
रेजिडेंशियल प्रोपर्टी को माउंट आबू प्रशासन ने क्यों कहा पांच सितारा होटल लिमडी कोठी?
जिस जगह पर लिमडी कोठी स्थित हैं वो जगह माउंट आबू के मास्टर प्लान में नो कंट्रक्शन जोन हैं। लेकिन रियासत काल में बनी लिमडी कोठी को मरम्मत की परमिशन देना कोई गुनाह कार्य नहीं हैं। ऐसा करना प्रशासन की मजबूरी हैं क्योंकि आज़ादी से पूर्व बने किसी भी भवन को प्रशासन गैर कानूनी नहीं ठहरा सकता और यदि वो भवन जीर्णशीर्ण अवस्था में पहुंच गया हैं तो उसके रिपेयरिंग की परमिशन देना भी प्रशासन की जिम्मेदारी हैं। पर सवाल तो तब उठता हैं जब वो प्रोपर्टी रेजिडेंशियल प्रोपर्टी हो और प्रशासन उसे पांच सितारा होटल के नाम से संबोधित करने लग जाए। शिकायतों और खबरें प्रसारित होने के बाद सिरोही कलेक्टर द्वारा माउंट आबू उपखण्ड प्रशासन से मांगी जांच रिपोर्ट के उत्तर में माउंट आबू एसडीएम ने अपनी जांच रिपोर्ट में लिखा कि माउंट आबू के नो-कंस्ट्रक्शन जोन में पांच सितारा होटल लिमडी कोठी नाम की जगह पर अवैध निर्माण की शिकायत पर जांच करवाई जिसकी जांच रिपोर्ट के बिंदु निम्न हैं। यानी एसडीएम ये मान रहे हैं कि उक्त लिमडी कोठी अब पांच सितारा होटल में तब्दील हो चुकी हैं। जबकि मास्टर प्लान के मुताबिक किसी भी प्रोपर्टी की किस्म परिवर्तन नहीं की जा सकती। तो रेजिडेंशियल प्रोपर्टी लिमडी कोठी को माउंट आबू प्रशासन ने अपनी जांच रिपोर्ट में पांच सितारा होटल कैसे मान लिया? समझ से परे हैं?
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