फील्ड मार्शल मानेकशॉ की बायोपिक नाम तय: फील्ड मार्शल मानेकशॉ पर बायोपिक तैयार कर रहे विक्की कौशल ने उनके जन्म दिन पर टाइटल की घोषणा की, फिल्म का नाम रखा 'सैम बहादुर'

विक्की कौशल की मोस्ट अवेटेड बायोपिक फिल्म के टाइटल की घोषणा आज हो गई। यह फिल्म भारत के सबसे महान युद्ध नायकों में से एक फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ की जीवन पर आधारित है। आज 3 अप्रेल को सैम मानेकशॉ का जन्मदिन है

फील्ड मार्शल मानेकशॉ पर बायोपिक तैयार कर रहे विक्की कौशल ने उनके जन्म दिन पर टाइटल की घोषणा की, फिल्म का नाम रखा 'सैम बहादुर'

मुंबई। 
अभिनेता विक्की कौशल की मोस्ट अवेटेड बायोपिक फिल्म के टाइटल की घोषणा आज हो गई। यह फिल्म भारत के सबसे महान युद्ध नायकों में से एक फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ की जीवन पर आधारित है। आज 3 अप्रेल को सैम मानेकशॉ का जन्मदिन है और इस दिन फिल्म निर्माताओं ने उनकी बायोपिक फिल्म का टाइटल ऐलान कर दिया। विक्की ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो टीजर शेयर कर बताया कि मानेकशॉ के जीवन पर आधारित इस फिल्म का नाम 'सैम बहादुर' रखा गया है। विक्की कौशल ने वीडियो टीजर के कैप्शन में लिखा, "द मैन, द लीजेंड, द ब्रेवहार्ट हमारे 'सैम बहादुर'। फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ की कहानी को उनकी जयंती पर नाम मिल गया है-'सैम बहादुर'। विक्की ने जो वीडियो शेयर की है, उसमें फिल्म के नाम के साथ मानेकशॉ के कई नामों को भी दिखाया गया है। सैम मानेकशॉ को 'मानेक सैम', 'मेकिनटोश', 'मानेक जी' जैसे नामों से भी जाना जाता है।" ]

रोनी स्क्रूवाला के प्रोडक्शन हाउस RSVP के बैनर तले बन रही इस फिल्म में विक्की कौशल सैम मानेकशॉ का रोल प्ले कर रहे हैं। फिल्म का निर्देशन मेघना गुलजार कर रही हैं। साल 2019 में 27 जून को मानेकशॉ की पुण्यतिथि पर विक्की ने फिल्म से अपना फर्स्ट लुक सोशल मीडिया पर शेयर किया था और उन्हें श्रद्धांजलि दी थी। वहीं पिछले साल मेकर्स ने विक्की कौशल का इस फिल्म से दूसरा लुक जारी किया था, जिसमें वे हूबहू फील्ड मार्शल मानेकशॉ की तरह ही दिखाई दे रहे हैं। फिल्म से उनके इस लुक ने सभी को हैरान कर दिया था।

सैम बहादुर जैसे पुरुष अब ओर नहीं हैं

इस सफर को शुरू करने के लिए उत्साहित डायरेक्टर मेघना गुलजार ने कहा, "वे सैना के सिपाही और एक सज्जन व्यक्ति थे। सैम बहादुर जैसे पुरुष अब ओर नहीं हैं। मैं रोनी स्क्रूवाला और अविश्वसनीय रूप से प्रतिभाशाली विक्की कौशल के साथ उनकी कहानी पेश करने के लिए सम्मानित महसूस कर रही हूं। फील्ड मार्शल की जयंती पर, उनकी कहानी को नाम मिला है। मैं बहुत ज्यादा खुश हूं।" सैम मानेकशॉ का जन्म 3 अप्रैल 1913 को अमृतसर में हुआ था। सैम के पिता डॉक्टर थे और सैम खुद भी डॉक्टर ही बनना चाहते थे। डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए वे इंग्लैंड जाना चाहते थे, पर पिता नहीं माने। इसके बाद उन्होंने पिता से नाराज होकर आर्मी भर्ती की परीक्षा दी। सैम के बारे में कई ऐसी बातें हैं, जो उनके मजबूत कैरेक्टर को सामने लाती हैं। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के ठीक दो साल पहले ही चीन से मिली हार के बाद भारतीय सेना का मनोबल थोड़ा गिरा हुआ था, लेकिन 1971 के युद्ध में भारतीय सेना ने जो कारनामा किया, वो आज भी इतिहास में दर्ज है। 3 दिसंबर को पाकिस्तानी सेना ने भारत पर हमला कर दिया। भारत ने हमले का इतना करारा जवाब दिया कि 13 दिनों में ही पाकिस्तानी सेना ने हथियार डाल दिए। पाकिस्तान के 90 हजार से भी ज्यादा सैनिकों ने आत्मसमर्पण कर दिया। कहा जाता है कि ये अकेला युद्ध था, जिसमें एक साथ इतनी बड़ी संख्या में सैनिकों ने हथियार डाले। युद्ध में पाकिस्तान को जान-माल के साथ जमीन से भी हाथ धोना पड़ा और एक नए राष्ट्र बांग्लादेश का जन्म हुआ था। भारतीय सेना की इस शौर्यगाथा का श्रेय जिस जनरल को जाता है वो सैम मानेकशॉ ही हैं। दूसरे विश्वयुद्ध के समय भारत अंग्रेजों का गुलाम था। उस समय भारतीय जवान ब्रिटिश सेना के लिए लड़ते थे। मानेकशॉ भी बर्मा में जापानी आर्मी के खिलाफ जंग के मैदान में थे। युद्ध के दौरान उनके शरीर में 7 गोलियां लगीं। उनके जिंदा बचने की उम्मीदें काफी कम थीं, लेकिन डॉक्टरों ने सारी गोलियां निकाल दीं और मानेकशॉ बच गए। सैम मानेकशॉ को कई सम्मान प्राप्त हुए। 1973 में उन्हें फील्ड मार्शल की उपाधि से नवाजा गया। वह इस पद से सम्मानित होने वाले पहले भारतीय जनरल थे। 1972 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया। 1973 में सेना प्रमुख के पद से रिटायर होने के बाद वे वेलिंगटन चले गए। वेलिंगटन में ही साल 2008 में उनकी मृत्यु हो गई थी।

Must Read: कृष्णा अभिषेक और द कपिल शर्मा शो की टीम ने लिया छोटा ब्रेक

पढें मनोरंजन खबरें, ताजा हिंदी समाचार (Latest Hindi News) के लिए डाउनलोड करें First Bharat App.

  • Follow us on :