अद्भुत: भगवान शिव का चमत्कारी मंदिर, 6 महीने में बदलता है दिशा, सावन में लगता है भक्तों का मेला

अरावली पर्वत की गोद में बस ये शिव मंदिर बेहद ही अनूठा है। इस शिव मंदिर का शिवलिंग हर 6 महीने में दिशा बदलता है। मंदिर के इस चमत्कार से वैज्ञानिक भी हैरान है।

भगवान शिव का चमत्कारी मंदिर, 6 महीने में बदलता है दिशा, सावन में लगता है भक्तों का मेला
Maleshwar Mahadev Temple

जयपुर | shravan month 2022: सावन का महीन शुरू हो गया है और भक्त अपने आराध्य महादेव को रिझाने में लगे हैं। देशभर में भगवान शिव के अभिषेक के लिए कांवड़ यात्राएं शुरू हो चुकी है। हर शिव मंदिर श्रद्धालुओं से भरा दिख रहा है। राजस्थान में गुलाबी नगर जयपुर के पास भी देवों के देव महादेव का एक चमत्कारिक मंदिर है। अरावली पर्वत की गोद में बस ये शिव मंदिर बेहद ही अनूठा है। इस शिव मंदिर का शिवलिंग हर 6 महीने में दिशा बदलता है। मंदिर के इस चमत्कार से वैज्ञानिक भी हैरान है।

मालेश्वर महादेव के नाम से है जग प्रसिद्ध
जयपुर के समीप चौमूं कस्बे में स्थित सामोद के महार कलां गांव में भगवान शिव का ये अनोखा मंदिर स्थित है। यह स्थान जयपुर से करीब चालीस किलोमीटर दूर है। ये मंदिर मालेश्वर महादेव (Maleshwar Mahadev Temple) के नाम से जग प्रसिद्ध है। विक्रम संवत 1101 काल के इस मंदिर में स्वयंभूलिंग विराजमान है जो सूर्य की दिशा के अनुरूप चलने लिए विख्यात है।

हर 6 महीने में शिवलिंग सूर्य की दिशा में घूमता है
महार कलां गांव में स्थित मालेश्वर महादेव मंदिर में विराजमान शिवलिंग हर 6 महीन में सूर्य के हिसाब से दिशा में झुक जाता है। गौरतलब है कि, सूर्य हर साल 6 माह में उत्तरायण और दक्षिणायन दिशा की ओर अग्रसर होता रहता है। उसी तरह यह शिवलिंग भी सूर्य की दिशा में घूम जाता है। इसी चमत्कार के कारण यह देश में अनूठा शिव मंदिर है। 

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सावन में प्राकृतिक झरनों के बीच होती सवामणी और गोठ
सावन के महीने में यहां भक्तों का मेला लग जाता है। प्रकृति की गोद में बसे भगवान शिव के इस मंदिर में दर्शन करने दूर-दूराज से लोग आते हैं। सावन के महीने भगवान का अभिषेक करते हैं। यहां गोठ-सवामणी के आयोजन होते हैं। इस मनोरम स्थान पर बारिश के समय पहाड़ों से प्राकृतिक झरने बहते हैं। मंदिर के आसपास चार प्राकृतिक कुण्ड हैं। कहा जाता है कि, इन कुण्डों का पानी कभी खाली नहीं होता हैं। ये कुण्ड मंदिर में आने वाले दर्शनार्थियों, जलाभिषेक और सवामणी आदि करने वालों के लिए प्रमुख जलस्रोत हैं। 

ऐसे पड़ा मंदिर का नाम मालेश्वर महादेव
मान्यताओं के अनुसार, महार कलां गांव पौराणिक काल में राजा सहस्रबाहु की माहिशमति नगरी हुआ करता था। इसी कारण इस मंदिर का नाम मालेश्वर महादेव मंदिर पड़ा। कहा जाता है कि, मुगल काल में इस मंदिर को नष्ट कर दिया गया था। मंदिर में तब तोड़ी गई शेष शैया पर लक्ष्मी जी के साथ विराजमान भगवान विष्णु जी की खण्डित मूर्ति आज भी यहां मौजूद है। बाद में फिर से मंदिर का जीर्णाेद्धार  करवाया गया।

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