रक्षाबंधन से पहले मिली खुशी: जिस भाई की तस्वीर पर बहन बांध रही थी राखी, वहीं भाई सालों बाद मिला जिंदा

रक्षाबंधन का त्योहार आने से पहले ही एक बहन के लिए इतनी खुशियां ले आया जिसे वह अपने शब्दों में बयां नहीं कर पा रही, सिर्फ आखों से बह रहे आंसू ही उसकी खुशी को झलका रहे हैं।

जिस भाई की तस्वीर पर बहन बांध रही थी राखी, वहीं भाई सालों बाद मिला जिंदा

भरतपुर | रक्षाबंधन का त्योहार आने से पहले ही एक बहन के लिए इतनी खुशियां ले आया जिसे वह अपने शब्दों में बयां नहीं कर पा रही, सिर्फ आखों से बह रहे आंसू ही उसकी खुशी को झलका रहे हैं। राजस्थान के भरतपुर जिले में गुरूवार को ‘अपना घर आश्रम’ में पूरा माहौल उस वक्त भावुक हो गया जब एक बहन ने अपने भाई को गले लगाया। ये भावुक क्षण देकर वहां मौजुद लोगों की भी आंखें भर आई।

दरअसल, पिछले 5 साल से जिस भाई को मरा हुआ समझकर बहन उसकी तस्वीर पर राखी बांधती रही, वहीं भाई अचानक से उसके सामने आया तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। जानकारी के अनुसार कानपुर के नौबस्ता का रहने वाला रोहित 10 नवंबर 2019 से भरतपुर के अपना घर आश्रम में रह रहा था। आश्रम कर्मियों का कहना है कि, रोहित आश्रम की टीम को दिल्ली के पंत हॉस्पिटल के बाहर मिला था। उसके सिर में एक बड़ा घाव था और उसमें कीड़े पड़े हुए थे। जिसके बाद टीम उसे भरतपुर के अपना घर आश्रम लेकर आई।

नहीं मिला रोहित तो परिवार ने माना मृत
रोहित की बहन से मिली जानकारी के अनुसार, 2017 में रोहित अचानक घर से लापता हो गया था। तब रोहित को हर जगह तलाश किया, लेकिन उसका कहीं भी पता नहीं चला। जिसके बाद परिवार ने उसे  मृत मान लिया। जिसके बाद उसके मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आवेदन भी कर दिया। 

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आश्रम से मिली सूचना, तो कानपुर से दौड़ पड़ी बहन
अपने भाई से मिलने की खुशी से भावुक बहन ने बताया कि, तीन दिन पहले ही भरतपुर के अपना घर आश्रम से गांव के प्रधान को रोहित के जिंदा होने की सूचना मिली थी। जिसके बाद कानपुर से बहन और जीजा रोहित को लेने अपना घर आश्रम पहुंचे और अपने साथ भाई को भी वापस कानपुर ले गए।

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25 साल पहले लापता हुए उड़ीसा के व्यक्ति को भी अपना आश्रम टीम ने मिलवाया
आपको बता दें कि, हाल ही के दिनों में भरतपुर के अपना घर आश्रम टीम ने उड़ीसा में कटक के एक गांव से 25 साल पहले लापता हुए 64 साल के सोमेश्वर दास को भी उसके परिवार से मिलवाया था। उसके परिवार ने भी उसे मृत मानकर अंतिम संस्कार की सभी क्रियाए कर दी थी और पत्नी विधवा का जीवन जी रही थी। लेकिन आश्रम की टीम ने उनके परिवार में फिर से खुशियां लाने का काम किया था।

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