कलम बनी आमजन की आवाज: कूटरचित दस्तावेजों से हासिल किया गया बेचे गए मकान का पट्टा अब निरस्त

फर्स्ट भारत ने शुक्रवार को ही माउंट में बंट रही पट्टों की रेवड़ी : संपत्ति बेची 2021 में, डेढ़ साल बाद विक्रेता ने उसी के नाम पर ले लिया पट्टा शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर माउंट आबू पालिका में पट्टों को लेकर हो रही बंदरबांट को उजागर किया था। समाचार प्रकाशन के बाद पालिका प्रशासन ने निरस्त कर दिया।

कूटरचित दस्तावेजों से हासिल किया गया बेचे गए मकान का पट्टा अब निरस्त

सिरोही। माउंट आबू की तोरणा निवासी रेखा रानी की ओर से वर्ष 2021 में सूरत के एक गुजराती को बेचे गए मकान पर नगर पालिका से 18 जुलाई को हथियाया गया पट्टा शुक्रवार को पालिका प्रशासन ने निरस्त कर दिया। फर्स्ट भारत ने शुक्रवार को ही माउंट में बंट रही पट्टों की रेवड़ी : संपत्ति बेची 2021 में, डेढ़ साल बाद विक्रेता ने उसी के नाम पर ले लिया पट्टा शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर माउंट आबू पालिका में पट्टों को लेकर हो रही बंदरबांट को उजागर किया था। समाचार प्रकाशन के बाद उच्चाधिकारियों के निर्देशों पर पालिका प्रशासन हरकत में आया और श्रीमती रेखारानी पत्नी जोगेन्द्र सिंह के नाम 18 जुलाई 2022 को जारी किया गया पट्टा विलेख क्रमांक 11 निरस्त कर दिया। इस संबंध में पालिका आयुक्त की ओर से शुक्रवार देर शाम आदेश जारी किया गया। आदेश में माना गया कि श्रीमती रेखारानी ने जिस मकान का पट्टा हासिल किया हैं, उसे उसने 2021 में ही बेच दिया था। ऐसे में यह तथ्य छिपाकर कूटरचित दस्तावेजों के सहारे पट्टा हासिल किया गया है। उनके पत्नी जोगेन्द्र सिंह की शिकायत पर जांच करने के बाद रेखारानी को आवश्यक दस्तावेज पेश करने के लिए सात दिन का समय दिया गया, लेकिन इस अवधि में किसी तरह के कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए गए। ऐसे में कानूनी तौर पर अधिनियमों के नियमों का पालन करते हुए नगर पालिका ने श्रीमती रेखारानी पत्नी जोगेन्द्र सिंह के नाम 18 जुलाई 2022 को जारी किया गया पट्टा विलेख क्रमांक 11 निरस्त कर दिया।

फर्स्ट भारत ने शुक्रवार को ही माउंट में बंट रही पट्टों की रेवड़ी : संपत्ति बेची 2021 में, डेढ़ साल बाद विक्रेता ने उसी के नाम पर ले लिया पट्टा शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर माउंट आबू पालिका में पट्टों को लेकर हो रही बंदरबांट को उजागर किया था। समाचार में बताया गया था कि जाेगेन्द्र सिंह का कहना है कि वह अपने परिवार सहित आबूपर्वत पर निवास करता रहा है। उसकी पत्नी रेखा रानी व उसकी बहिन शशि एवं बबली तथा तानाराम गायकवाड निवासी आबूपर्वत व अजय पुत्र जगदीश निवासी आबूपर्वत, राजेश पंजाबी निवासी आबूपर्वत, समीर बाबा निवासी आबूपर्वत, बिहारी लाल पूर्बिया निवासी आबूपर्वत, जगदीश पुत्र लालजी भाई निवासी सूरत करीब दो वर्ष पहले से उसे जान से मारने का प्रयास कर रहे हैं। अठारह जून 2021 को जमीन के सौदे के बहाने तानाराम व उसकी पत्नी रेखा रानी के कहने पर समीर उसे गाडी में बिठाकर यासीर भाई के घर भरूच लेके गया, तब उसे जानकारी मिली कि उसकी पत्नी उसे मरवाना चाहते हैं। जैसे-तैसे कर जान बचाकर वहां से भाग कर आ गया। आबू पर्वत पहुंचने के बाद उसने यह घटना पत्नी व बच्चों को बताई तो पत्नी ने उसे धमकाया। उसे नशे का आदी बताकर आठ सितम्बर 2021 को जबरन फर्जी नशा मुक्ति केन्द्र पलवल हरियाणा में भर्ती करा दिया गया। उसे एक अप्रैल 2022 तक नशा मुक्ति केन्द्र में रखा गया। इसी दरम्यान उसकी खरीदशुदा सम्पति को बिहारी लाल पूर्विया ने अपने नाम करवा लिया। खेल यही हुआ। बिहारीलाल पूर्विया वह शख्स हैं, जिसे नवम्बर 2021 में जोगेन्द्र की पत्नी रेखा रानी ने अपना रहवासीय मकान बेचा। इसके बदले उसे पैसा मिल गया।

हाल ही में प्रशासन शहरों के संग अभियान में जब पट्टा वितरण शुरू हुआ तो रेखा रानी ने भी आवेदन किया, जिस पर उसे नगर पालिका ने पट्टा दे दिया। सवाल यही है कि जब संपति गुजरात के किसी व्यक्ति को बेच दी गई तो फिर विक्रेता को उसे मिल्कियत का पट्टा कैसे मिल गया। सवाल यह भी है कि पट्टा वितरण के लिए आवेदन करते समय पालिका प्रशासन ने संबंधित दस्तावेजों की जांच क्यों नहीं की। जब संपत्ति बेच दी गई तो फिर उसके पट्टे के लिए आवेदन आते समय ही जांच क्यों नहीं कर ली गई। भौतिक सत्यापन होता तो इस फर्जीवाड़े की पोल शुरू में ही खुल जाती? इस तरह की अनियमितता के कारण अब पालिका प्रशासन के पट्टा वितरण अभियान पर अंगुलियां उठना शुरू हो गई है। उपखंड व जिला स्तरीय अधिकारियों को यह मामला संज्ञान में लेकर पालिका प्रशासन की ओर से बांटे जाने वाले पट्टों की जांच करवानी चाहिए, तभी दूध का पूरा दूध हो पाएगा।

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