Rajasthan: युनाइटेड ग्लोबल पीस फाउण्डेशन के 11 उद्देश्य निर्धारित, राष्ट्रीय सेमीनार का समापन
— जैसलमेर के सूर्यागढ़ होटल में दो दिवसीय कार्यशाला का समापन — देश विदेश के ख्यातनाम विचारक, एचआर—सीएसआर हैड जुड़े — विकास के कई मॉडल्स पर हुई चर्चा और मानव संसाधन तथा सामुदायिक सामाजिक भागीदारी पर विशेष व्याख्यान
जैसलमेर | होटल सूर्यागढ़ पैलेस में दो दिवसीय कार्यशाला में युनाइटेड ग्लोबल पीस फाउण्डेशन के 11 उद्देश्य निर्धारित किए गए हैं। इन उद्देश्यों के ब्रॉशर का विमोचन फाउण्डेशन के अध्यक्ष मेघराज सिंह रॉयल, विवेकानंद केन्द्र कन्याकुमारी की उपाध्यक्ष पद्मश्री निवेदिता भिड़े, इण्डोनेशिया के पद्मश्री अगस इन्द्र उदयना, प्रधान सलाहकार डॉ. विक्रांत सिंह तोमर, निदेशक ब्रिगेडियर जितेन्द्रसिंह शेखावत, निदेशक शक्ति सिंह बांदीकुई, ट्रस्टी एडवोकेट देवेन्द्रसिंह शेखावत आदि ने किया और संकल्प किया कि विकास के इस नए मॉडल को प्रभावी आयाम देंगे।
यूनाइटेड ग्लोबल पीस फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में देश और दुनिया के कई प्रतिष्ठित अतिथि, विद्वान और कॉर्पोरेट जगत के दिग्गजों ने भाग लिया। इस अवसर पर मानव संसाधन (एचआर) और कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) के माध्यम से सेवा की भावना को आगे बढ़ाने पर गहन चर्चा और मंथन किया गया।
एचआर—सीएसआर की दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार को सम्बोधित करते हुए चेयरमैन मेघराज सिंह रॉयल ने कहा कि गांव के स्तर पर विकास का एक प्रतीक मॉडल बनाएंगे। जिससे देश में एक प्रभावी नजीर पेश की जा सके। यह मॉडल गांव में विकास के सभी बिंदुओं को एकात्म भाव से जोड़ने, स्वराज की संकल्पना को साकार करने तथा रोजगार के अवसर बनाने की योग्यता से पूरित होगा। उन्होंने कहा कि खत्म हो रहे ओरण गोचर, पर्यावरण संरक्षण, रोजगार, गरीबी उन्मूलन समेत कई बिंदुओं का समाधान करने की दिशा में फाउण्डेशन कदम बढ़ाएगा।
निदेशक शक्ति सिंह बांदीकुई ने फाउण्डेशन की ओर से किए जा रहे कामों के बारे में विस्तार से जानकारी दी जो बालिका शिक्षा, स्वरोजगार, पर्यावरण संरक्षण आदि दिशा में चल रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि यह सम्मेलन भारतीय ज्ञान और आधुनिक सीएसआर पहलों के बीच सेतु का कार्य करेगा, और इसे पूरी दुनिया में अपनाया जाएगा।
इससे पहले रिलायंस, जियो, अडानी फाउण्डेशन, इंडिगो आदि करीब दो दर्जन कंपनियों के सीएसआर और एचआर हैड ने प्रोजेक्ट को लेकर अपने सुझाव दिए। कार्यक्रम के समापन के बारे में बताते हुए ट्रस्टी देवेन्द्रसिंह शेखावत ने कहा कि यह मॉडल एक सक्सेस और दूसरों के लिए नजीर पेश करने वाला मॉडल होगा।
प्रधान सलाहकार विक्रांत सिंह तोमर ने आगे की योजना के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन में सामने आए विचारों और रणनीतियों को फरवरी 2025 में उज्जैन में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार में और विस्तार दिया जाएगा, जहां 22 देशों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। समापन सत्र में मुख्य अतिथि मध्य प्रदेश के संस्कृति मंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी ने डिजिटली जुड़कर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, "सेवा की भारतीय परंपरा और संस्कृति सदियों पुरानी है। आज यह सम्मेलन उस परंपरा को नए रूप में प्रस्तुत करता है, जिससे न केवल भारत, बल्कि पूरा विश्व लाभान्वित होगा।"
यह तय किए 11 लक्ष्य
1. शिक्षा — आर्थिक संकट के चलते पिछड़ रही मेधावी प्रतिभाओं को देश के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों, उच्च शिक्षण संस्थानों और प्रतियोगी परीक्षाओं में सभी तरह की मदद करना ताकि वे वे स्वयं और समाज का निर्माण कर सके।
2. निराश्रित और असहाय कन्याओं के विवाह में मदद : वे गरीब कन्याएं जिनके माता—पिता नहीं है और निराश्रित हैं। उनको अपने रीति—रिवाज और परम्परा के अनुसार विवाह के लिए सहयोग करना।
3. प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को तराशकर आगे लाना - वे छुपी हुई प्रतिभाएं जो की "गुदड़ी के लाल हैं" परंतु साधन, संसाधन के अभाव में पीछे रह जाते हैं। उन्हें प्रतिभाओं को निखारकर आवश्यक व्यवस्था उपलब्ध कराना और उनकी प्रतिभा को देश विदेश के पटल पर लाना।
4. देश की रक्षा के हित सर्वोच्च बलिदान देने वाले कर्तव्यपरायण और शहीद होने वाले सैनिकों, अर्धसैनिकों और पुलिस जनों के बच्चों के लिए शिक्षा का समुचित प्रबंध करना।
5. गंभीर बीमारियों से ग्रसित लोगों का इलाज - वे असहाय नागरिक जिनके गंभीर बीमारी है एवम इलाज के अभाव में आर्थिक तंगी के कारण घर में तड़प रहे है। उनका उचित इलाज कराने हेतु कार्य करना।
6. पर्यावरण संरक्षण - जल, जंगल और जीवन का संरक्षण करने के लिए प्रेरणादायक तकनीकों के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण की अलख जगाना। पर्यावरण संरक्षण के तमाम उपाय अमल में लाने के कार्यों की पहचान, संरक्षण और प्रोत्साहन करना।
7. प्राचीन ज्ञान, कला, संस्कृति, सभ्यता के प्रतीकों और प्रेरणा स्वरूपों को पोषित व संरक्षित करना। इस दिशा में काम करने वाले लोगों को मान्यता देना।
8. धरोहर संरक्षण : हमारी पुरासंपदाओं और ऐतिहासिक स्मारकों के संरक्षण के प्रभावी प्रयास करना। इस दिशा में पहले से काम करने वालों, साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं कलात्मक चेतना तथा उत्थान के लिए काम करने वाले लोगों को प्रोत्साहन देना। हमारे तमाम ऐतिहासिक चरित्रों की ख्याति का प्रकाशन, फिल्मांकन, प्रसारण और उनकी महिमा को सभी संभव माध्यमों से नई पीढ़ी तक पहुंचाना।
9. समाज में सामाजिक, शिष्टाचारों के हो रहे पतन को रोकने हेतु कार्य करना : भारत के संविधान के मूल अधिकारों और नीति निदेशक तत्वों में वर्णित बिंदुओं के आधार पर सभी के मानवाधिकारों का संरक्षण करते हुए सामाजिक समरसता, सदभाव और राष्टीय चरित्र का निर्माण करने के लिए हर संभव प्रयास करना।
10. गोसेवा और जीवदया : गोसंरक्षण, संवर्धन और पालन को प्रोत्साहित और प्रचारित करना। साथ ही पशु पक्षी समेत प्राणीमात्र के कल्याण के लिए नवीनतम तकनीक और समन्वित प्रयासों से कार्य करना।
11. युवा सशक्तीकरण : सामाजिक भाव लिए हुए युवा जो सामाजिक क्षेत्र में और राजनीतिक संगठनों में प्रभावी कार्य कर रहे है, उन्हें राजनीतिक माध्यम से आमजन की सेवा करने हेतु सबल बनाने में सहयोग करना। उद्यमिता, नवाचार में काम करने वाले युवाओं को सहयोग और उनके कार्यों का संवर्धन करना।
सम्मेलन की मुख्य उपलब्धियां
इस दो दिवसीय आयोजन के दौरान "ज्ञान योग", "कर्म योग", और "उपासना योग" के माध्यम से सेवा की अवधारणा पर विभिन्न सत्रों का आयोजन हुआ। इन सत्रों में विशेषज्ञों ने आधुनिक सीएसआर पहलों को भारतीय संस्कृति और मूल्यों के साथ जोड़ने के उपायों पर अपने विचार साझा किए।
यूनाइटेड ग्लोबल पीस फाउंडेशन के चेयरमैन मेघराज सिंह रॉयल ने इस आयोजन के सफल समापन पर सभी उपस्थितों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन न केवल विचारों का आदान-प्रदान करने का मंच बना, बल्कि सेवा के माध्यम से वैश्विक सद्भाव और शांति की दिशा में ठोस कदम बढ़ाने का अवसर भी प्रदान किया।
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